इस जिले में शादी करने से कतरा रहे हैं युवा, जानिए क्या है वजह!
पंकज दाऊद @ बीजापुर। महाराष्ट्र व तेलंगाना की सीमा से लगे बस्तर के बीजापुर जिले में हालिया सालों में अविवाहित युवक-युवतियों की तादाद तेजी से बढ़ती जा रही है। इसके पीछे सबसे पहला कारण भौतिकवाद सामने आया है और फिर दूसरे क्रम पर बेरोजगारी है।
दरअसल, कई युवाओं के शादी नहीं करने का कारण उनके होने वाले स्पाउस का सामाजिक और आर्थिक स्टेटस का मेल नहीं खाना भी होता है।
बेरोजगारी का असर शादी पर
गौरतलब है कि इस जिलेे में एक भी कारखाना नहीं है। कोई बड़ी इण्डस्ट्री नहीं होने के कारण इस जिले में युवा बेरोजगारी की मार दीगर जिलों की तुलना में ज्यादा झेल रहे हैं। हायर सेकेण्डरी, ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट कर चुके युवा छोटे धंधे या खेती करने से हिचकिचाते हैं।
यही वजह है कि इन छोटे धंधों में अब या तो दूसरे जिले या राज्य के लोगों ने पैठ बना ली है। कोई भी सरकार सभी को नौकरी नहीं दे सकती है और कुछ दे भी रही है तो अब या तो संविदा या फिर दैनिक वेतनभोगी के रूप में भर्ती कर रही है। अब नौकरी नहीं है तो शादी कैसे होगी।
कैरियर की अनिश्चितता
अब बीजापुर जिले में अकेले-अकेलियों की भी़ड़ इकट्ठी होने के पीछे यही सबब है। संविदा या दैनिक वेतन भोगी के तौर पर काम करने वाले युवाओं में अपने कैरियर की अनिश्चितता का भय अलग बना हुआ है और इनमें से भी कई युवा शादी से कतरा रहे हैं।
जहां तक अंदरूनी गांवों के युवाओं की बात हैं, उन्हें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। वे तो वक्त पर विवाह रचा लेते हैं क्योंकि उन्हें भौतिकवाद से कोई सरोकार नहीं है। सरकारी नौकरी पाए कई युवा अपने सामाजिक और आर्थिक स्तर के हमसफर की तलाश में हैं और इनके भी सात फेरे थमे हुए हैं।
ये है बेरोजगारी का नजारा
जिले में 2011 की जनगणना के अनुसार आबादी 255130 थी। अब इस आबादी में अनुमानित 10 फीसदी का इजाफा हुआ है। रोजगार कार्यालय के अनुसार 29 फरवरी तक 9524 युवाओं के नाम पंजी में दर्ज हैं। इनमें 4036 युवतियों और 5488 युवकों के नाम शामिल हैं। ये तो सरकारी आंकड़ा है लेकिन गैर सरकारी तौर पर ये आंकड़ा चौंकाने वाला भी हो सकता है।
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क्या कहते हैं एक्सपर्ट…
शहीद बापूराव स्नातकोत्तर महाविद्यालय सुकमा के समाज शास्त्र विभाग के प्रमुख एमके नर्मदा का इस बारे में विचार है कि अविवाहित युवाओं की बढ़ती संख्या की प्रमुख वजह संयुक्त परिवारों का विघटन है। संयुक्त परिवारों में सभी काम नहीं करते थे और युवक या युवती की शादी हो जाती थी। तब किसी एक पर परिवार चलाने का बोझ नहीं होता था।
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आजकल लड़के या लड़की का ज्यादा पढ़ लेना और अपने बराबर पढ़े लिखे हमसफर का नहीं मिलना भी एक कारण है। अब माता पिता भी चाहते हैं कि उनके बेटे या बेटी की शादी पढ़े लिखे से हो जाए। बेरोजगारी तो इसकी खास वजह है। कैरियर बनाते वक्त निकल जाता है और फिर उस उम्र के युवक युवती नहीं मिल पाते हैं। इस युग में युवाओं को घर से मिली स्वतंत्रता भी एक कारण है।
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