कैम्प हटाने की मांग: पत्थरबाजी से हिंसा भड़की और गोलीबारी पर खत्म… तीन की जान गई और 18 घायल
पंकज दाउद @ बीजापुर। बीजापुर जिले से सटे सुकमा जिले के सिलगेर गांव के समीप हाल ही में बने फोर्स के कैम्प के विरोध में चार दिनों से जुटे आदिवासियों का आंदोलन सोमवार की दोपहर तब आक्रामक हो गया जब एक हजार से अधिक आदिवासियों ने कैम्प पर पत्थरबाजी शुरू कर दी और तीर बरसाने लगे।
पुलिस के मुताबिक आदिवासी इतने आक्रामक हो गए कि उन्होंने कैम्प के बेरीकेड को तोड़ने की कोशिश की और फिर जंगल की ओर से संदिग्ध माओवादियों ने फायरिंग शुरू कर दी। इस हिंसक झड़प में तीन लोगों की जान चली गई और अठारह लोग घायल हो गए।
पुलिस का कहना है कि हिंसा पर उतारू लोगों ने सोमवार की दोपहर करीब बारह बजे पत्थरबाजी शुरू की और फिर सुरक्षा में तैनात जवानों पर तीर बरसाए। इस बीच जंगल की ओर से भी गोलीबारी हुई। जवाबी कार्रवाई में फोर्स ने भी गोली चलाई। इसमें तीन लोग मारे गए।
मरने वालों में कवासी वेगा निवासी चुटवाही थाना बासागुड़ा, उइका मुरली निवासी तिप्पापुरम थाना चिंतलनार जिला सुकमा एवं उरसा भीमा निवासी गुण्डम थाना बासागुड़ा शामिल हैं। इस घटना के बाद तीनों शवों को फोर्स ने अपने कब्जे में ले लिया।
बताया गया है कि बीजापुर जिला हाॅस्पिटल में मंगलवार को पोस्टमार्टम किया गया। फोर्स मारे गए तीन लोगों को माओवादी बता रही है जबकि ग्रामीण इन्हें किसान। बताया गया है कि अठारह लोग हिंसक झड़प में जख्मी हुए हैं और इनमें तीन को बुलेट इंजुरी है।
अठारह में से सात लोगों को बासागुड़ा में दाखिल किया गया जबकि जिला हाॅस्पिटल में ग्यारह लोगों का इलाज चल रहा है। इस हिंसा में बीजापुर और सुकमा जिले के करीब दो दर्जन से अधिक गांव के लोग शामिल थे। हालांकि गांव के लोगों ने घायलों की जो फेहरिस्त थमाई है उनमें 31 लोगों का नाम है।
घायलों में इनका नाम…
वेटी अडमाल, कारम सांतू, चिंताम भीमा, कारम विजाल, कारम सन्नू, लेकाम सन्नू, पूनेम मंगू, मीडियम सुक्की, मड़वी दन्नी, हेमला सन्नू, हेमला बुदरी, अवलम सोमे, कारम जोगी, कोरसा बुदराम, मिडीयम मंगली, हेमला बुज्जी, कुंजाम आयती, पूनेम गुण्डाल, कारम रज्जू, माड़वी विजय, मड़काम रमेष, कारम नारयण, बोगाम लकमू, पूनेम नंदे, कारम जोगी, मिरगम सुकली, पूनेम मुरा, मिंगम बुज्जी, कड़ती लकमा, मड़कम परमिला एवं मड़कम हुुंगी शामिल हैं।
ये है पूरा मामला
गांव के लोगों का आरोप है कि कैम्प खुलने से वे खुद को असुरक्षित महसूस करते हैं। गश्त और सर्चिंग में निकली फोर्स गांव के लोगों प्रताड़ित करती है। जंगल में वनोपज लेने गए लोगों को माओवादी बताकर जेल भेज दिया जाता है जबकि गांव के लोगों का नक्सलियों से कोई लेना देना नहीं है।
बता दें कि सुकमा के सिलगेर गांव के पास 12 मई को कैम्प स्थापित किया गया और तब से आदिवासी इसका विरोध कर रहे हैं। इस कैम्प सीआरपीएफ की 168, 153 बटालियन, एसटीएफ और डीआरजी के जवानों की तैनाती की गई है।
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