लाॅकडाउन का दर्द: 180 किमी दूर पैदल सफर पर निकले ये मजदूर… ईंट बनाने आए थे, फिर हो गई तालाबंदी
पंकज दाउद @ बीजापुर। यहां ईंट भट्टी का काम पूरा हुआ तो तीन मजदूर कोई चारा ना देखते पैदल अपने 180 किमी दूर बसे बस्तर जिले के बस्तर ब्लाॅक में ही बसे गांवों की ओर निकल पड़े। इन्हें अपने गांव तक पहुंचने में चार दिन लगेंगे।

ये दर्द है बस्तर ब्लाॅक के तुमटीदेवड़ा गांव के मंगलसाय कश्यप (23), प्रीतम बघेल (25) एवं सानदेवड़ा गांव के गुणसागर बघेल का। ये बताते हैं कि चार माह पहले वे जिला मुख्यालय के एक ठेकेदार किशोर मांझी के घर आए थे। वे उनके पास हर साल आते हैं और इंट बनाकर चले जाते हैं।
उन्हें एक हजार ईंट बनाने का डेढ़ हजार रूपए मेहनताना मिलता है। इस साल अब तक उन्होंने 80 हजार ईंट बनाई। ठेकेदार की शादी हो गई और इसके बाद काम बंद हो गया। इन मजदूरों को अब गांव में काम है। इस वजह से वे अपने गांव जा रहे हैं।
पैदल चलना मजबूरी
मजदूरों ने बताया कि परिवहन का कोई साधन नहीं है। एक दिन में वे ज्यादा से ज्यादा 40 किमी या 50 किमी ही चल पाएंगे। रास्ते में भोजन के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि वे साथ में बर्तन एवं राशन रखे हुए हैं। जहां भी रूकेंगे, वहां भोजन पका लेंगे।
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— Khabar Bastar (@khabarbastar) April 29, 2021
ये दर्द केवल मंगलसाय, गुणसागर और प्रीतम का ही नहीं है। तेलंगाना में मिर्च तोड़ने गए अनेक मजदूर भी यही दर्द झेल रहे हैं। वे अपनों के पास ऐसी विकट स्थिति में जाना चाहते हैं लेकिन पैदल जाने के सिवाय उनके पास कोई विकल्प नहीं है।
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