कब खत्म होगी कंधे पर लाश ढोने की मजबूरी… नंगे पांव शव को लेकर मीलों पैदल चले परिजन, रास्ते में छोड़ गया शव वाहन
दंतेवाड़ा @ खबर बस्तर। बस्तर में विकास की गंगा बहाने के दावे तो नेता, अफसर, मंत्री करते ही रहते हैं। लेकिन यहां की जमीनी हकीकत को बयां करती बदहाली की तस्वीरें अक्सर सामने आती रहती है, जो कई बार झकझोर कर रख देती हैं।
ऐसी ही एक दुखदाई तस्वीर छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले से सामने आई है, जिसने बदहाली की पोल खोलकर रख दी है। शव को खाट पर रखकर परिजन कांधे पर लादे कई किलोमीटर पैदल चलते रहे। इस तस्वीर को जिसने भी देखा उसकी आंखें नम हो गईं।
दरअसल, शनिवार को नीलवाया ग्राम के एक ग्रामीण बंडी 52 वर्ष की मौत हो गई। उसे इलाज के लिए जगदलपुर ले जाया जा रहा था लेकिन उसने रास्ते में ही दम तोड़ दिया।
ग्रामीण की मौत के बाद उसके शव को दंतेवाड़ा से शव वाहन में गांव तक पहुंचाना था, लेकिन सड़क खराब होने का हवाला देते हुए ड्राईवर समेली-अरनपुर सड़क पर ही छोड़ का चला गया।
यहां से परिजनों ने शव को खाट पर रखकर गांव तक 7 किलोमीटर सफर पैदल ही तय किया।
एक तो परिजन के बिछड़ने का गम, उस पर कच्ची सड़क पर शव को पैदल ले जाने की बेबसी, घरवालों के चेहरे पर साफ दिख रही थी।
बता दें कि नीलवाया गांव तक पहुंच मार्ग निर्माणाधीन है। पिछले 5 साल से ये सड़क अधूरी पड़ी है। सड़क पर गिट्टी बिछाकर छोड़ दिया गया है, जिससे नंगे पांव चलने में ग्रामीणों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
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