मियाद पूरी होने के 4 साल बाद भी नहीं बनी सड़क… 87 लाख रूपए का भुगतान, होली से पहले मिट्टी का खेल
पंकज दाऊद @ बीजापुर। प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत उसूर ब्लाॅक में पामेड़ से टेकलेर तक बन रही सड़क में लाखों का वारा न्यारा हो रहा है और अंदरूनी इलाका होने के चलते कायदों की धज्जियां भी उड़ाई जा रही हैं। सात किमी की इस सड़क में काम तो थोड़ा-सा ही हुआ है और वह भी अमानक।
पामेड़-टेकलेर सड़क की मंजूरी 2016 में हुई थी और इसे 2017 में शुरू किया गया। पांच जून 2018 को इसकी पूर्णता तिथि थी। इसका अनुबंध अक्टूबर 2018 को हुआ था। इसकी लागत 252.82 लाख रूपए है और अब तक ठेकेदार को 86.93 लाख रूपए का भुगतान भी कर दिया गया है।
विभाग के रेकाॅर्ड के अनुसार 5 किमी मिट्टी व 3 किमी मुरूम का काम हो गया है जबकि ऐसा नहीं है। अब तक केवल तीन किमी सड़क ही बन पाई है। गांव के लोगों के हो-हल्ले के बाद पिछले माह से फिर काम शुरू किया गया। इसका ठेका रायपुर के मेसर्स गंगा कंस्ट्रक्शन ने लिया है।
पामेड़ से कोई तीन किमी दूर तक सड़क तो ठीकठाक है लेकिन उसके बाद कोई काम नहीं हुआ है। गांव के लोगों के हो-हल्ले के बाद काम शुरू हुआ। लीपापोती वाला काम। सड़क किनारे की काली मिट्टी का इस्तेमाल हो रहा है। इसे ब्लैड मशीन से निकाला जा रहा है। इसके लिए सड़क किनारे के सैकड़ों पेड़ जमींदोज किए गए हैं।
कायदे से तो दूर से मिट्टी लाकर डाला जाना चाहिए लेकिन ऐसा नहीं किया जा रहा है। जाहिर है कि इसमें ठेकेदार का काफी पैसा बच रहा है। इस पर पीएमजीएसवाय के अफसर निगरानी नहीं कर रहे हैं। गांव के लोग इस काम से बेहद नाखुश हैं। वे कहते हैं कि इससे आने वाले समय में सारी मिट्टी बह जाएगी और लोगों का चलना मुश्किल हो जाएगा।
सड़क किनारे बड़े गड्डे कर दिए गए हैं। यहां पानी भर जाने पर अपने आप सड़क की मिट्टी इसमें जा भरेगी। पूरा का पूरा काम सिर्फ ब्लेड मशीन से हो रहा है।
जारपल्ली के जनपद सदस्य बालकृष्ण मच्चा बताते हैं कि इस बारे में बस्तर क्षेत्र विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष एवं विधायक विक्रम शाह मण्डावी से शिकायत की गई है।
दारेनकट्टा गांव के युवा एवं सरपंच के भाई रमेश सोड़ी ने बताया कि कलेक्टर से इस बारे में शिकायत की गई। उन्होंने कार्रवाई का आश्वासन तो दिया लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। सड़क बनाने के नाम पर केवल भ्रष्टाचार हो रहा है।
फारेस्ट क्लियरेंस की जानकारी नहीं – ईई
पीएमजीएसवाय के कार्यपालन अभियंता बलराम सिंह ठाकुर ने बताया कि संवेदनशील क्षेत्र होने के कारण सालों से सड़क का काम बंद था लेकिन गांव के लोगों की मांग के बाद ठेकेदार से संपर्क कर इस सड़क का निर्माण दूसरी छोर से फिर से शुरू किया गया। गांव वालों की सहमति के बाद ही इस सड़क का निर्माण हो रहा है। 26 फरवरी को वे खुद भी इस सड़क के निरीक्षण के लिए पामेड़ गए थे।
पामेड़ से टेकलेर तक केवल दो किमी तक ही सड़क का निरीक्षण वे कर पाए। इलाके की संवेदनशीलता की वजह से वे आगे नहीं जा सके। मार्ग बनाने के लिए फारेस्ट क्लियरेंस के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है।
सब इंजीनियर का गोलमोल जवाब
पामेड़ से टेकलेर तक की सड़क निर्माण के निरीक्षण और आकलन का जिम्मा सब इंजीनियर यशवंत साहू के पास है। इस बारे में ना तो उन्हें फारेस्ट क्लियरेंस की जानकारी है और ना ही सड़क की मौजूदा स्थिति की। सड़क का निर्माण पेटी काॅन्ट्रेक्टर करवा रहे हैं, इसकी जानकारी तो है लेकिन इसे कौन करवा रहा है, इस बात की जानकारी एसई को नहीं है।
वर्तमान में कितनी राशि का भुगतान किया गया है, इस सवाल पर सब इंजीनियर कहते हैं कि फाइल देखकर ही वे बता पाएंगे। हालांकि सब इंजीनियर का दावा है कि तीन साल से बंद पड़े इस काम को फिर से शुरू हुए मात्र 20 दिन ही हुए हैं। इन बीस दिनों में वे दो बार सड़क का निरीक्षण कर चुके हैं।
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