Health Tips, Personality Tips : हम इंसानों में कहीं लक्षण पाए जाते हैं। जिनमें कुछ बेसिक लक्षण होने के साथ कुछ जरूरत से ज्यादा किए जाने वाले लक्षण शामिल होते हैं। हालांकि आमतौर पर लोग इसे सही मानते हैं लेकिन मनोविज्ञान की भाषा में इन लक्षणों को बेहद ही हानिकारक माना गया है।
साथ ही इनमें से कई हरकतों को मानसिक रोग के लक्षण माना जाता है। ऐसे में यदि आप भी इन लक्षणों के आदी हैं तो आपको सतर्क रहने की आवश्यकता है। कुछ महिलाओं में मेनोपॉज के दौरान अन्य मेनोपॉज के बाद ओसीडी के लक्षण दिखाई देने लगते हैं।
तनाव हावी होने लगता है
ऑब्सेसिव कंप्लीटेड डिसऑर्डर होना उनके लिए काफी मुश्किल भरा हो सकता है। बता दे की महिलाएं हारमोंस के असंतुलन के कारण होने वाले साइड इफेक्ट में इसे झेलती हैं। उनकी स्क्रीन ड्राई हो जाती है और चेहरे पर झुर्रियां नजर आने लगती है। ऐसे में ओसीडी से उनकी पर्सनैलिटी पूरी तरह से बदलने के साथ ही उनमें तनाव हावी होने लगता है।
95% महिला हार्मोनल इंबैलेंस से गुजरती है
महिलाओं के जीवन में प्यूबर्टी पीरियड से हार्मोन का दखल शुरू हो जाता और प्रेगनेंसी तक यह मेनोपॉज लगा रहता है लेकिन 95% महिला हार्मोनल इंबैलेंस से गुजरती है। जिसके कारण उन्हें मानसिक रोग की बढ़ोतरी होने लगती है। साइकोलॉजिस्ट के मुताबिक ओसीडी इसमें बेहद आम है।
आखिर क्या है ओसीडी
ओसीडी एक ऐसा मानसिक विकार है। जिसमें व्यक्ति का व्यवहार नॉर्मल से कुछ ज्यादा अधिक हो जाता है। वह असामान्य व्यवहार के साथ परिवार को भी परेशानी में डाल देता है। पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में ओसीडी अधिक होती है। विश्व भर में 1.5% लोग ओसीडी के शिकार है। जिनमें महिलाओं की संख्या एक प्रतिशत है।
ओसीडी की शुरुआती लक्षण के साल 19-20 होते हैं। हालांकि महिलाओं में भी औषधि की समस्या अधिक देखने को मिलती है।ओसीडी व्यक्ति पर एक जैसा नहीं होता है। इसलिए इसे अलग-अलग कैटेगरी में बांटा गया है।
ओसीडी के दो केटेगरी महिलाओं में ज्यादा
ओसीडी के दो केटेगरी महिलाओं में ज्यादा दिखाई देती है। जिनमें कॉन्टेमिनेशन ओसीडी और सिमिट्रिक और ऑर्डरिंग ओसीडी नहाने के साथ ही बार-बार साबुन लगाने में भी उनकी स्क्रीन ट्राई हो जाती है। किसी भी चीज को छूने से ऐसी महिलाएं डरती है।
इसके अलावा सिमिट्रिक और ऑर्डरिंग डिसऑर्डर में महिलाएं दिन भर अपने घर को अरेंज करते रहती हैं। उन्हें चीजों को करने से रखना बेहद पसंद होता है। परिवार में बिखरी हुई चीज उन्हें कष्ट देता है। इसके साथ ही खराब हुई चीजों को वह फिर से करीने से रखने में व्यस्त हो जाती है।ऐसे में इनकी हरकतों से घर वाले भी परेशान रहते हैं।
चेकिंग ओसीडी
साथ ही चेकिंग ओसीडी में वैसे लोग आते हैं, जो बार-बार अपने काम को चेक करते हैं। दरवाजा बंद करने के बाद फिर से चेक करने के साथ देखते है कि बंद हुआ कि नहीं। खिड़की लाइट पंखा गैस गीजर बंद करने के बावजूद इस बार-बार चेक करने की हरकतें ऐसे लोगों में देखने को मिलती है। इसे भी मानसिक फोबिया कहा जाता है।
रूमिनेशंस और इंट्रूसिव थॉट ओसीडी
इसके अलावा रूमिनेशंस और इंट्रूसिव थॉट ओसीडी के रोगी, ऐसे रोगी माने जाते हैं। जिनके दिमाग में हमेशा परेशान करने वाले ख्याल आते रहते हैं। उन्हें लगता है कि उनके परिवार के साथ कोई हिंसा कर सकता है।
उनके चेहरे पर हमेशा डर बेचैनी और घबराहट नजर आती है और वह परिवार की सुरक्षा में लगे रहते हैं। ऐसे में इन लोगों को इलाज के लिए साइकैटरिस्ट के पास जाना भी ज्यादा आवश्यक है। मानसिक रोग के लिए काउंसलिंग के अलावा थेरेपी और दवाई दी जाती है। रोग की पहचान जल्दी होने पर इनका इलाज बेहद आसानी से किया जा सकता है।
यह आलेख सामान्य जानकारी पर आधारित है। khabar bastar इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी दवा और इलाज के लिए अपने डॉक्टर से अवश्य संपर्क करें।
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