ज्वाइन करते ही नए SP बोले- कैम्प खुलेंगे और ऑपरेशन भी चलेगा… नक्सलियों के सप्लाई चेन को रोकने पड़ोसी राज्यों से तालमेल
पंकज दाऊद @ बीजापुर। एसपी अंजनेय वार्ष्णेय ने सड़क और पुल-पुलियों को लेकर आदिवासियों के आंदोलन को नक्सली प्रायोजित करार देते कहा है कि कैम्प खुलेंगे और ऑपरेशन भी चलेगा। उनके सप्लाई चेन को रोकने की भी कोशिश की जा रही है।
यहां पुलिस ऑफिसर्स मेस में पत्रकारों से चर्चा करते एसपी अंजनेय वार्ष्णेय ने कहा कि इन दिनों जारी आंदोलन के लिए नक्सली लोगों को बाध्य कर रहे हैं। आदोलन में नहीं जाने पर लोगों से जुर्माना वसूला जाता है। यही नहीं इसमें शामिल होने आने वाले अपने घरों से चावल-दाल आदि लाते हैंं।
नक्सली गांव के लोगों से नियमित रूप से लेवी वसूलते हैं। एसपी ने कहा कि महुआ, टोरा, इमली, तेन्दूपत्ता के सीजन मेंं कोई भी आदिवासी अपना वक्त जाया नहीं करना चाहता है लेकिन दबाव में वे आंदोलन में शामिल हो रहे हैं।
एसपी ने कहा कि हमारा मकसद नक्सलियों के सप्लाई चेन को रोकना है। जहां तक खाने-पीने के सामान की बात है, इसे रोकना मुश्किल है लेकिन दवा, हथियार, विस्फोटक, वर्दी आदि की सप्लाई को रोकने रूटिन चेकिंग की जाती है।
पड़ोसी राज्य तेलंगाना एवं महाराष्ट्र से छग पुलिस का तालमेल है। किसी सामान की सप्लाई इन राज्यों से छग में होने की खबर पर कार्रवाई की जाती है।
इसी 26 अप्रैल को विस्फोटक पकड़ा गया था। नक्सलियों के बड़े कैडर बाहर के हैं और स्थानीय लोगों का शोषण कर रहे हैं। इसी वजह से कैम्पों का विस्तार किया जा रहा है।
पत्रवार्ता के दौरान एएसपी (ऑप्स) आदित्य पाण्डे, डीएसपी आशीष कुंजाम, तुलसीराम लेकाम, सुदीप सरकार, एवं पुष्पेन्द्र बघेल मौजूद थे।
बेकसूर को नहीं पकड़ा जाता
एसपी अंजनेय वार्ष्णेय ने साफ किया कि किसी भी बेकसूर को गिरफ्तार नहीं किया जाता है। नक्सलियों के लिए पुनर्वास नीति इसलिए बनाई गई है क्योंकि ये सियासी समस्या है। इसके बाद भी समर्पण नहीं करने और अपराध में संलिप्त रहने पर कार्रवाई की जाती है।
पकड़े जाने के बाद नक्सलियों से कई चरणों में पूछताछ की जाती है। इसके बाद उन्हें कोर्ट में पेश किया जाता है और चार्जशीट बनाई जाती है। इस प्रक्रिया में किसी भी बेकसूर को जेल में दालिख नहीं किया जाता है।
पुनर्वास में विलंब क्यो
एसपी ने कहा कि समर्पण के बाद पुनर्वास नीति का लाभ दिया जाता है। लेकिन इसके पहल उन्हें ऑब्सर्व किया जाता है। दरअसल, उनका हृदय परिवर्तन तुरंत नहीं होता है।
सरकारी प्रकिया में भी वक्त लगता है। उनके राषन कार्ड, आधार कार्ड एवं बैंक पास बुक भी बनवाने होते हैं।पुनर्वास के तहत हर विभाग से आत्मसमर्पित नक्सलियों को सहयोग दिया जाता है।
सकारात्मक खबर होनी चाहिए
एसपी अंजनेय वार्ष्णेय ने कहा कि नक्सली दुष्प्रचार का काउण्टर जरूरी है। इसके लिए संवाददाताओं को सकारात्मक खबरें बनानी चाहिए। रैली आदि से भय का वातावरण सृजित होता है। इस भय को समाप्त करना है।
सकारात्मक खबरों का अच्छा प्रभाव पड़ता है। सनसनीखेज खबरें ज्यादातर नकारात्मक होती हैं। इससे बचना चाहिए। सीआरपीएफ, पुलिस, ग्रामीण व दीगर विभागों की खबरें सकारात्मक होंगी तो मानसिकता में परिवर्तन आएगा।
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