यहां बसों की कमाई मार देते हैं नक्सली पीड़ित ! ट्रैफिक को दुरूस्त करने ड्राइवरों की हुई बैठक

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यहां बसों की कमाई मार देते हैं नक्सली पीड़ित ! ट्रैफिक को दुरूस्त करने ड्राइवरों की हुई बैठक

पंकज दाउद @ बीजापुर। जिले में ऐसे करीब डेढ़ हजार नक्सली पीड़ित हैं जो कभी-कभी बस संचालकों के लिए मुसीबत का सबब बन जाते हैं और इससे संचालकों को काफी नुकसान हो जाता है।

यहां नगरपालिका परिषद में बस, टैक्सी एवं आटो सेवा से जुड़े कर्मियों की बैठक बुलाई गई। यहां ये बात सामने आई कि नक्सली पीड़ितों के अचानक 10-12 की संख्या में बस में आकर बैठ जाने से परेशानी होती है। खुद परिवहन अधिकारी केएल माहोर ने माना कि उनके दफ्तर में करीब डेढ़ हजार नक्सली पीड़ितों के लिए पास बने हुए हैं। ये संख्या लगातार बढ़ रही है।

– बस और आटो चालकों की बैठक।

दरअसल, छग शासन की नीति के मुताबिक नक्सल पीड़ित के किराए में 50 फीसद की छूट है। ऐसे में यदि एक साथ एक ही बस में 10 से 12 नक्सल पीड़ित आकर बैठ जाएं, तो मुनाफा काफी कम हो जाता है। बस संचालकों पर आधा किराया लेने की बाध्यता है। इसका पालन उन्हें करना होता है।

बस कर्मियों ने बताया कि कुछ नक्सली पीड़ित तो कार या महंगी बाइक से भी स्टैण्ड आते हैं। अब वे समृद्ध हो गए हैं और उन्हें रियायत की दरकार नहीं है। पालिका के सीएमओ पवन कुमार मेरिया ने बस कंडक्टरों को सलाह दी कि वे दिन में एक तय सीटें ही नक्सल पीड़ितों के लिए रख लें। बचे यात्री दूसरी बस में चले जाएं।

बसों से लगता है जाम

ट्रैफिक पुलिस के एएसआई विजय मण्डावी ने कहा कि बीच सड़क पर बसों के रूक जाने या धीमी हो जाने पर यातायात की समस्या खड़ी हो जाती है। इस पर ड्राइवरों ने कहा कि बस को किनारे करने स्थान ही नहीं होता है। दुकानों के सामने लोग बाइक खड़ी कर देते हैं।

सीएमओ पवन मेरिया ने कहा कि राउतपारा चौक, पुराना बस स्टैण्ड, पीडब्ल्यूडी कार्यालय, पुराने पेट्रोल पंप एवं कलेक्टोरेट के पास एक-एक स्टाॅपेज बनाया जाएगा। इससे ये समस्या खत्म होगी।

बस स्टैण्ड में टैक्सियों के खड़े होने पर इस सेवा से जुड़े भुवन सिंह चौहान ने कहा कि इससे विवाद की स्थिति पैदा हो जाती है। सीएमओ ने पिकअप और टैक्सियों को बस स्टैण्ड के बाजू में खाली स्थान पर खड़ी करने की सलाह दी।

दस हजार तक जुर्माना

परिवहन अधिकारी केएल मोहारे ने कहा कि टैक्सी, आटो और बस ड्राइवरों को अपने पास लाइसेंस, गाड़ी के सारे कागजात, बीमा और प्रदूषण का प्रमाणपत्र रखना अनिवार्य है। ऐसा नहीं होने पर नए नियमों के मुताबिक 10 हजार रूपए तक का अर्थदण्ड लग सकता है।

एएसआई विजय मण्डावी ने कहा कि स्कूली बच्चों को ले जाने वाले आटो में जाली अनिवार्य है। ये सुरक्षा के लिहाज से जरूरी है। उन्होंने बस में किराया सूची चस्पा करने की सलाह भी दी।

बस से भी आता है कोरोना

परिवहन अधिकारी ने बताया कि इस क्षेत्र में कोरोना का संक्रमण ज्यादा नहीं है। बाहर से बस से आने वाले यात्री संक्रमण लेकर आते हैं। इससे बस में सवार दूसरे यात्री भी संक्रमित हो सकते हैं। उन्होंने बस में यात्रियों के लिए मास्क अनिवार्य करने और सेनेटाइजर रखने की सलाह दी।

 

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