लाखों की हैचरी किसी काम की नहीं, किसान महंगे दाम पर मछली बीज खरीदने मजबूर… उद्यानिकी विभाग ने किया था मत्स्य उद्योग का काम !

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लाखों की हैचरी किसी काम की नहीं, किसान महंगे दाम पर मछली बीज खरीदने मजबूर… उद्यानिकी विभाग ने किया था मत्स्य उद्योग का काम !

पंकज दाऊद @ बीजापुर। मछली उत्पादन में समूचे बस्तर में आगे रहने वाले जिले में एक भी हैचरी नहीं है। है भी तो एक ऐसी हैचरी, जिसमें 9 तकनीकी खामियां हैं। अब किसान क्या करें, वे मजबूरी में अधिक दाम पर गुणवत्ताहीन बीज खरीदने मजबूर हैं।

– पामलवाया में बनी हैचरी।

बताया गया है कि पामलवाया में उद्यानिकी विभाग की नर्सरी में कोई 10 साल पहले एक हैचरी बनाई गई थी। इसे मत्स्यपालन विभाग ने नहीं बनाया और इसका जिम्मा उद्यानिकी विभाग को दे दिया गया। तब से हैचरी शुरू ही नहीं हो सकी क्योंकि इसमें तकनीकी खामियां हैं। यहां मछली बीज का उत्पादन नहीं किया जा सकता है।

सूत्रों के मुताबिक भैरमगढ़ में भी एक हैचरी बनाई गई थी। यहां पानी की कमी होने के कारण बीज उत्पादन नहीं किया जा सकता है। पखांजूर एवं बोरगांव के मछली उत्पादक किसान जिले के हाट बाजारों में महंगे दामों पर गुणवत्ताहीन बीज का विक्रय करते हैं। इससे जिले के किसानों को काफी नुकसान होता है।

– चेरपाल बाजार में मछली बीज की बिक्री

किसानों को 500 सौ का बीज 12 सौ रूपए तक में खरीदना पड़ता है। हैचरी नहीं होने से मत्स्य विभाग नारायणपुर, कोपाबेड़ा (कोण्डागांव) एवं बालेंगा बस्तर से स्पान लेकर आता है और इसे पोखर में रख देता है। इसके बाद इसे किसानों को बेचा जाता है। इस साल रोहू, कतला एवं मृगल के 7 लाख स्टैण्डर्ड फ्राई (15 से 26 एमएम के बीज) वितरण का लक्ष्य रखा गया है।

इंद्रावती में भी

विभाग के उप संचालक एमएल बकोदिया ने बताया कि इंद्रावती नदी में भी 71 से 90 एमएम के बीज छोड़े जाते हैं। भैरमगढ़ ब्लाॅक के बौराबेड़ा में इंद्रावती में अक्टूबर एवं नवंबर में बीज छोड़े जाते हैं। इससे नदी तट पर रहने वाले मछुआरों को काफी फायदा होता है।

महिलाओं के स्तन को नुकसान

उप संचालक एमएल बकोदिया के मुताबिक छत्तीसगढ़ में दो से तीन ऐसी घटनाएं हुई हैं जब प्रतिबंधिंत मछली थाई मांगूर ने तालाब में नहाने गई महिलाओं के स्तन को काटा है। पूरे देश में इस मछली के अलावा बिग हेड फिश को पालने पर पाबंदी है।

जिले में इसके पालन या इसके बीज की बिक्री की जानकारी मिलेगी तो कार्रवाई की जाएगी। इसमें एक साल की कैद या दस हजार रूपए के जुर्माने का प्रावधान है।

नैमेड़ में प्रस्तावित

उप संचालक ने बताया कि नैमेड़ में पंचायत ने हैचरी के लिए जमीन दी है। इसकी तकनीकी स्वीकृति हो गई है। इसका प्रस्ताव भेज दिया गया है। हैचरी बनने पर किसानों को फायदा होगा। वे अनावश्यक परेशानी से भी बच सकेंगे।

 

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