Loksabha Elections Results 2024: लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों के बाद राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय है कि सरकार कौन बनाएगा।
भाजपा को पूर्ण बहुमत नहीं मिला है, जिससे उसे सरकार बनाने के लिए सहयोगी दलों की आवश्यकता होगी। विशेष रूप से जदयू और टीडीपी जैसे दलों का समर्थन महत्वपूर्ण है।
दूसरी ओर, कांग्रेस भी इन्हीं दलों की ओर आशा भरी निगाहें लगाए हुए है। कांग्रेस को उम्मीद है कि ये दल भाजपा का साथ छोड़कर इंडिया गठबंधन में शामिल होकर सरकार बनाने में मदद करेंगे।
इसका आधार यह है कि इन दलों के नेता पहले भी भाजपा का साथ छोड़ चुके हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ आवाज उठा चुके हैं। नतीजों में ‘N फैक्टर’ की भी चर्चा हो रही है।
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क्या है ‘N फैक्टर’?
‘एन फैक्टर’ की बात करें तो यह 2018 की घटना से जुड़ा है जब चंद्रबाबू नायडू ने भाजपा से अपने वर्षों पुराने गठबंधन को तोड़ दिया था। भाजपा और टीडीपी का गठबंधन 1998 से चला आ रहा था और उन्होंने मिलकर सरकार भी चलाई थी।
चंद्रबाबू नायडू अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मंत्री भी रहे थे। लेकिन आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग पूरी न होने पर उन्होंने भाजपा का साथ छोड़ दिया और विपक्षी खेमे में शामिल हो गए।
2019 में टीडीपी ने कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ा लेकिन भारी हार का सामना करना पड़ा।
इस बार, चुनाव से पहले नायडू ने फिर से भाजपा के साथ गठबंधन किया और इसका फायदा उन्हें लोकसभा और विधानसभा दोनों चुनावों में मिला।
उनकी पार्टी लोकसभा में 16 सीटें जीतती हुई नजर आ रही है और विधानसभा चुनावों में भी उन्होंने क्लीन स्वीप किया है। इस चुनाव में चंद्रबाबू नायडू किंगमेकर बनकर उभरे हैं और भाजपा उनकी मदद से सरकार बनाने की स्थिति में है।
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नीतीश कुमार की दास्तां भी कुछ ऐसी ही
नीतीश कुमार की जदयू बिहार में एनडीए के साथ मिलकर चुनाव लड़ी और अपने कोटे की सभी सीटें जीतती हुई दिख रही है। जदयू को 15 से 16 सीटें मिल सकती हैं।
नीतीश कुमार 1998 से 2013 तक बीजेपी नेतृत्व वाले एनडीए के साथ रहे, लेकिन 2014 में नरेंद्र मोदी के नाम को आगे बढ़ाने पर उन्होंने एनडीए से नाता तोड़ लिया था।
विपक्षी गठबंधन बनाने का श्रेय भी उन्हीं को जाता है। हालांकि, लोकसभा चुनाव से कुछ महीने पहले ही वे फिर से भाजपा में शामिल हो गए।
अब कांग्रेस उन्हीं कारणों को आधार बनाकर नीतीश कुमार से भी साथ आने की अपील कर रही है। एनडीए की धुरी नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू हैं।
अगर ये दोनों नेता एनडीए से अलग हो जाते हैं, तो भाजपा के लिए सरकार बनाना मुश्किल हो जाएगा। इसलिए भाजपा नेतृत्व उन्हें अपने पाले में रखने के लिए जी-जान से जुटा हुआ है।
दोनों नेताओं के नाम में ‘N’ अक्षर होने के कारण सोशल मीडिया पर ‘N फैक्टर’ की भी खूब चर्चा हो रही है।
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