Israel-Iran War, Iran-Israel War, Iran-Israel Incident : बाबा बेंगा की भविष्यवाणी एक बार फिर से सच साबित होने वाली है। दरअसल तृतीय विश्व युद्ध के हालात लगातार निर्मित हो रहे हैं। हालांकि कई देशों में एक तरफ शांति समझौते की बात की जा रही है। वहीं दूसरी तरफ ईरान और इजराइल में लगातार बढ़ रहे तनाव के बीच देश में इसका असर देखा जा सकता है।
बता दे कि अगर ईरान और इजरायल के बीच युद्ध है तो इसका वैश्विक बाजार और भारत पर भी व्यापक प्रभाव पड़ेगा। दोनों देशों के बीच लगातार तनाव चल रहे हैं। बरसों से चले आ रहे तनाव अभी और अधिक सक्रिय हो गए हैं। हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। ऐसे में यदि तनाव युद्ध में बदलता है तो दुनिया में कई वस्तुओं के दाम में खासा इजाफा होने जाएगा। इसके साथ ही कई चीज महंगी हो सकती है।
महंगी हो सकती है कई चीज
भारत और ईरान के बीच व्यापारिक संबंध लंबे समय से चले जा रहे हैं। ईरान से भारत कच्चे तेल की बड़ी हिस्सेदारी आयात करता है। ऐसे में भारत की प्रमुखता है। इसके अलावा फर्टिलाइजर का आयात भी भारत ईरान से करता है। विशेष कर यूरिया के आयात ईरान से किए जाते हैं और भारत के कृषि प्रधान देश है। ऐसे में यूरिया की मांग व्यापक स्तर पर देखने को मिलती है।
साथ ही केमिकल ड्राई फ्रूट और प्राकृतिक गैस के लिए भारत को ईरान पर निर्भर रहना पड़ता है। सूखा मेवा पिस्ता खजूर और बादाम का आयात भी ईरान से होते हैं। इसके अलावा पेट्रोकेमिकल उत्पादन के लिए भी भारत को ईरान पर निर्भर रहना पड़ता है। प्लास्टिक रबड़ और अन्य रासायनिक उत्पादन भारत ईरान से कार्य करते हैं।
इजराइल से आयात
भारत और इसराइल के बीच में राजनीतिक और कूटनीति की नई व्यापारिक स्तर पर भी मजबूत संबंध है। जिसमें
- भारत इजराइल से रक्षा उपकरण के अलावा उन्नत कृषि तकनीक आदि का आयात करता है। इसमें रडार सिस्टम, एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल जैसे कई तकनीक शामिल है।
- इसके अलावा रसायन और फर्टिलाइजर सहित इलेक्ट्रॉनिक और साइबर सुरक्षा और मेडिकल और हेल्थ केयर उत्पादन के लिए भी भारत को इसराइल पर निर्भर रहना पड़ता है।
ऐसे में यदि ईरान और इजरायल के बीच युद्ध होता है तो भारत में कई वस्तुओं के महंगे होने की संभावनाएं तेज हो जाएगी। बता दे कि इसराइल और ईरान कैसे ना तकनीकी संपन्न है। ऐसे में यह युद्ध कभी भी एक तरफ नहीं हो सकेगा।
ईरान से आयात
- ईरान दुनिया के सबसे बड़े कच्चे तेल का उत्पादक देश में एक और एशिया के संवेदनशील इलाकों में स्थित है। ऐसे में संघर्ष से वैश्विक तेल आपूर्ति प्रसिद्ध प्रभाव पड़ेगा। अंतरराष्ट्रीय तेल बाजार में अस्थिरता से कच्चे तेल की कीमत में बढ़ोतरी हो सकती है। भारत पर विशेष रूप से इसका प्रभाव पड़ेगा क्योंकि भारत अपने तेल की जरूरत के लिए काफी हद तक आयात पर निर्भर है। ऐसे में परिवहन और उत्पादन लागत में बढ़ोतरी हो सकती है।
- यदि युद्ध के हालात निर्मित होते हैं तो निवेशक सुरक्षित निवेश के तौर पर सोने और चांदी का रूप कर सकते हैं। जिससे इनके भाव में बढ़ोतरी हो सकती है और उनकी कीमत आसमान छू सकती है। आभूषण उद्योग पर इसका सीधा-सीधा प्रभाव देखा जा सकता है।
- वहीं यदि ईरान और इजराइल में युद्ध चढ़ता है तो ईरान प्राकृतिक गैस के बड़े उत्पादकों में से एकहै। युद्ध की स्थिति में गैस निर्यात क्षमता प्रभावित होगी। जिससे यूरोप और एशिया में ऊर्जा संकट पैदा हो सकते हैं। नेचुरल गैस की कीमत में भारी बढ़ोतरी हो सकती है। जिसका सीधा असर घरेलू गैस सिलेंडर और बिजली उत्पादन पर पड़ सकता है।
- इसराइल और ईरान के बीच संघर्ष में बड़ी मात्रा में खाद्य और कृषि उत्पादकों का व्यापार प्रभावित होगा। ग्लोबल सप्लाई चैन प्रभावित हो सकता है। गेहूं चीनी और अन्य कृषि उत्पादकों की कीमत में बढ़ोतरी दर्ज की जा सकती है। जिसका सीधा असर भारत जैसे बड़ी जनसंख्या वाले देशों पर देखा जाएगा।
- इसके अलावा ईरान रासायनिक और धातु उद्योग में भी वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यदि कोई भी अस्थिरता होती है तो कच्चे माल की कीमत बढ़ सकती है। एल्यूमिनियम स्टील और अन्य धातु के दाम में तेजी देखी जा सकती है। साथ ही भारतीय फार्मास्यूटिकल उद्योग प्रवेश का प्रभाव पड़ सकता है। भारत दवाओं के लिए कच्चे माल का बड़ा हिस्सा विदेश से आयात करता है। ऐसे में सप्लाई चैन पर इसका असर पड़ेगा और दवाई के दाम में सीधे-सीधे देखी जा सकती है।
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