India’s Unique Village : भारत देश में कई एक अनोखा गांव है। जिनकी कई कहानी प्रचलित है। इसी में आज हम बात करेंगे एक ऐसे अनोखे गांव की, जहां किसी के घर भी खाना नहीं बनते हैं।
दरअसल गुजरात गांव है। यहां किसी के घर भी खाना नहीं बनाया जाता है। खास बात यह है कि इस गांव में बुजुर्गों की संख्या भी काफी है। इससे पहले इस गांव में 1100 से अधिक लोगों की आबादी रहती थी।
गांव की मिसाल सामाजिक समरसता
नौकरी के चक्कर में लोगों का पलायन शुरू हुआ और अब इस गांव में महज 500 लोग रह गए हैं। इस अनोखी गांव की मिसाल सामाजिक समरसता के लिए दी जाती है। गुजरात के मेहसाणा जिले में अनोखा गांव चंदनकी पड़ता है। इस गांव में किसी के घर भी खाना नहीं बनाया जाता है।
गांव में ही एक सामुदायिक रसोई है। जहां पूरे गांव का खाना बनता है। खाने के बहाने गांव के लोग यहां पर इकट्ठा होते हैं। एक दूसरे से मिलते-जुलते हैं और बातें करते है, वही बुजुर्गों का अकेलापन भी इससे दूर हो जाता है।
ग्रामीणों को 2000 मासिक भुगतान
ग्रामीणों का खाना किराए की रसोई में तैयार किया जाता है। इन्हें हर महीने 11000 का वेतन दिया जाता है। खाने के बदले ग्रामीणों को 2000 मासिक भुगतान करते हैं। वही ग्रामीणों को खाना एक हाल थाल में भरोसा जाता है।
300 परिवार कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका में जाकर बसें
गांव के सरपंच पूनम भाई पटेल का इसमें अहम योगदान माना गया है। खाने की अगर बात करें तो सामुदायिक रसोई हाल में एक साथ 35 से 40 लोग के बैठकर भोजन करने की व्यवस्था की गई है। दोपहर के भजन में दाल चावल चपाती, सब्जी और मिठाई दी जाती है।
रात में खिचड़ी , कडी भाकरी रोटी सब्जी मेथी गोटा, ढोकला और इडली सांभर की व्यवस्था की जाती है। बता दे कि गुजरात के मेहसाणा के चंदनकी गांव के 300 परिवार अब कनाडा ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका में जाकर बस गए हैं। वहीं उनके परिवार के बुजुर्ग अभी इसी गांव में रहते हैं।
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