कलेक्टर अपहरण मामला: IAS एलेक्स पॉल मेनन ने नक्सलियों को पहचानने से किया इंकार… NIA कोर्ट में दिया बयान
सुकमा/दंतेवाड़ा @ खबर बस्तर। छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में साल 2012 में हुए कलेक्टर अपहरण मामले में तत्कालीन कलेक्टर ऐलेक्स पॉल मेनन ने गुरूवार को NIA कोर्ट में अपना बयान दिया है।
आईएएस ऐलेक्स पॉल मेनन ने इस मामले में गिरफ्तार नक्सली को पहचानने से कलेक्टर ने इंकार कर दिया। उन्होंने अपने बयान में कहा कि घटना काफी पुरानी है, इसलिए आरोपियों को पहचान नहीं पाउंगा।
बता दें कि छत्तीसगढ़ पुलिस की स्पेशल टीम ने साल 2016 में कलेक्टर अपहरण में शामिल कथित नक्सली भीमा उर्फ आकाश को गिरफ्तार किया था। जेल में सजा काट रहे नक्सली को गुरूवार को दंतेवाड़ा के एनआइए कोर्ट में पेश किया गया।
कोर्ट के समक्ष आईएएस एलेक्स पाल मेनन ने कथित नक्सली को पहचाने से मना कर दिया। उन्होंने अपने बयान में कहा कि घटना काफी पुरानी है, इसलिए आरोपी को पहचान पाना मुमकिन नहीं है। मेनन ने कोर्ट के सामने यह भी बताया की भविष्य में भी वह उन नक्सलियों को नहीं पहचान पाएंगे।
गौरतलब है कि तमिलनाडु के रहने वाले ऐलेक्स पॉल मेनन 2006 बैच के आईएएस अधिकारी है। वे पिछले साल से ही सेन्ट्रल डेपुटेशन पर हैं। फ़िलहाल उनकी पोस्टिंग गृह राज्य तमिलनाडु में हैं। वे चेन्नई के सेज संयुक्त विकास आयुक्त के पद पर तैनात हैं।
मालूम हो कि छत्तीसगढ़ के सुकमा में 21 अप्रैल 2012 की शाम केरलापाल क्षेत्र के माझीपारा गांव में नक्सलियों ने कलेक्टर एलेक्स पॉल मेनन का अपहरण कर लिया था।
इस दौरान नक्सालियों ने उनके दो अंगरक्षकों की हत्या कर दी थी।
IAS ने कोर्ट में दिया ये बयान
आईएएस अधिकारी व तत्कालीन सुकमा कलेक्टर एलेक्स पाल मेनन ने एनआईए के विशेष न्यायाधीश दीपक कुमार देशलहरे के समक्ष अपना बयान दर्ज कराया।
उन्होंने अपने बयान में कहा कि सुकमा जिले के केरलापाल स्थित मांझी पारा में जल संरक्षण कार्यों के नक्शे का अवलोकन कर रहा था, उसी समय वहां पर गोली चलने की आवाज आई।
गोली की आवाज सुनकर मैं अपने आम को बचाने के लिए जमीन के नीचे लेट गया था। इसके बाद शिविर में अफरा-तफरी मच गई। सभी इधर-उधर भागने लगे।
मैने देखा कि मेरे एक गनमैन किशुन कुजूर जमीन के नीचे पड़ा हुआ था। उसी समय किसी व्यक्ति ने कहा कि साहब आप भाग जाईये।
तब मैं भाग कर अपने वाहन से आगे जा रहा था। तभी रास्ते में 3-4 बंदूकधारी नकाबपोश लोगों ने मेरी गाड़ी को रोक लिया।
रोककर हम सभी को गाड़ी से उतारकर पूछे कि कलेक्टर कौन है, फिर मैं सामने आया, फिर वे लोग मेरे हाथ को रस्सी से और आंख में पट्टी बांध दिया।
इसके बाद वे मुझे खींचते हुए मुझे जंगल की ओर कहीं ले जाकर 10 मिनट बाद मेरे आंख की पट्टी निकाल दिये। फिर वे अपने साथ जंगल में 13 दिन रहे।
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