BJP में शामिल हुए पूर्व IAS: नीलकंठ टेकाम ने ज्वाइन की बीजेपी, इस सीट से लड़ेंगे चुनाव !
कोंडागांव @ खबर बस्तर। छत्तीसगढ़ में पदस्थ एक और आईएएस ने नौकरी को छोड़कर राजनीति का रास्ता अख्तियार कर लिया। पूर्व आईएएस नीलकंठ टेकाम ने बुधवार को बीजेपी की सदस्यता ग्रहण कर ली।
केशकाल में आयोजित कार्यक्रम के दौरान टेकाम ने पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अरूण साव की मौजूदगी में भाजपा का दामन थाम लिया।
बीजेपी में शमिल होने के साथ ही पूर्व IAS नीलकंठ टेकाम ने भाजपा की तारीफ करते हुए बस्तर और कोंडागांव की जनता की सेवा करने की इच्छा जाहिर की है।
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उन्होंने कहा कि उनकी समाज के प्रति अपनी प्रतिबद्धता है जिसे लेकर उन्होंने नौकरी छोड़ी है और राजनीति के माध्यम से जनता की सेवा करने के लिए बीजेपी में शामिल होने का निर्णय लिया है।
बस्तर के लिए काफी कुछ करना है
पूर्व आईएएस और बीजेपी नेता ने कहा, “बहुत अच्छा महसूस कर रहा हूं। सरकारी नौकरी में रहने के दौरान बस्तर के लिए काफी कुछ करने का सोचा था, लेकिन मैं अपने आपको बंधन में महसूस कर रहा था।”
टेकाम ने आगे कहा- “इसलिए सरकारी नौकरी छोड़कर भाजपा ज्वाइन किया है। हर बस्तरवासियों के लिए यह जरूरी है कि उनके अंदर बस्तर को लेकर दूरदृष्टि है तो उसमें योगदान होना चाहिए। मुझे लगता है अब मेरी राजनीति में जरुरत है, इसलिए पॉलिटिक्स ज्वाइन किया है।”
पहले भी कर चुके थे कोशिश
बता दें कि नीलकंठ टेकाम ने अविभाजित मध्यप्रदेश के समय भी एक बार इस्तीफा देकर राजनीति में जाने की कोशिश की थी। लेकिन उस वक्त मध्यप्रदेश प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने उनका इस्तीफा मंजूर नहीं किया था।
इस सीट से चुनाव लड़ने की अटकलें
सूत्रों की मानें तो नीलकंठ टेकाम बस्तर की केशकाल विधानसभा सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। इस सीट पर पिछले 3 चुनाव में भाजपा को लगातार हार का सामना करना पड़ा था। ऐसे में चर्चा है कि बीजेपी टेकाम को केशकाल से उम्मीदवार बना सकती है।
टेकाम ओपी चौधरी के बाद ऐसे दूसरे आईएएस हैं, जिन्होंने नौकरी छोड़कर राजनीति में अपना भविष्य तलाशा है।
क्षेत्र में अच्छी पकड़
गौरतलब है कि आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखने वाले नीलकंठ टेकाम क्षेत्र में खासे लोकप्रिय हैं। स्थानीय होने के चलते क्षेत्रवासियों से उनका सीधा संपर्क है। सूत्र बताते हैं कि कई आदिवासी संगठन भी उनके साथ संपर्क बनाए हुए हैं।
नीलकंठ टेकाम पढाई-लिखाई के दौरान छात्र राजनीति में काफी सक्रिय रहे हैं। कॉलेज के दिनों में वे छात्रसंघ के अध्यक्ष भी रहे। वहीं आदिवासी होने के कारण उनका बस्तर इलाके में खासा प्रभाव है।
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