Employees Salary: केंद्र सरकार द्वारा जुलाई छमाही के लिए महंगाई भत्ते में बढ़ोतरी की घोषणा कर दी गई है। दिवाली से पूर्व मोदी सरकार ने महंगाई भत्ते को 3% से बढ़ाया था। जिसके साथ ही कर्मचारियों और पेंशन भोगियों के महंगाई भत्ते और महंगाई राहत 50% से बढ़ाकर 53% कर दिए गए है।
हालांकि मोदी सरकार द्वारा महंगाई भत्ते को बढ़ाये जाने के बाद कई राज्य सरकार द्वारा भी महंगाई भत्ते में वृद्धि की गई है। बावजूद उसके राज्य के कर्मचारियों को हर महीने 2000 से 3000 तक का नुकसान उठाना पड़ रहा है। जिसके बाद अब अफसर के खिलाफ कर्मचारी संगठन लामबंद दिखाई दे रहे हैं।
हर महीने 1500 से 3000 तक का नुकसान
प्रदेश के लाखों कर्मचारियों को हर महीने 1500 से 3000 तक का नुकसान उठाना पड़ रहा है। हालांकि इस मामले में संबंधित अफसर की खामोशी से कर्मचारी परेशान हो गए हैं।
कर्मचारी संगठन सरकार से लगातार विरोध प्रदर्शन कर रही है। श्रम विभाग के अफसर के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए कर्मचारी संगठन द्वारा धरना प्रदर्शन भी किया जा रहा है।
कर्मचारी मोर्चा में धरना प्रदर्शन
इंदौर में पुनरीक्षित न्यूनतम वेतन पर लगे स्टे को हटाने और अन्य मांगों को लेकर ऑल इंडिया डिपार्टमेंट आउटसोर्स और अस्थाई कर्मचारी मोर्चा में धरना प्रदर्शन किया था। वहीं अधिकारियों के खिलाफ नारेबाजी भी की गई थी।
इंदौर के श्रम आयुक्त कार्यालय के सामने धरना देते हुए आउटसोर्स और अस्थाई कर्मचारी संगठन ने बताया कि मार्च में संशोधित वेतन के लिए नोटिफिकेशन जारी किया गया था।
न्यूनतम वेतन दिए जाने की मांग
1 अप्रैल से इसे लागू किया गया था लेकिन उद्योग संगठन बाद में हाई कोर्ट पहुंच गए। हाई कोर्ट के निर्देश के बाद अभी तक के मामला नहीं सुलझाया गया है। जिसके कारण कर्मचारियों को हर महीने 1500 से 2500 का नुकसान उठाना पड़ रहा है।
कर्मचारी संगठन 9 नवंबर 2019 में न्यूनतम वेतन सलाहकार बोर्ड के अनुशंसा के अनुसार न्यूनतम वेतन दिए जाने की मांग की थी। वैधानिक दिक्कतों को दूर करने की भी मांग की गई थी।
इस मामले में कर्मचारी नेता वासुदेव शर्मा का कहना है कि 2014 में न्यूनतम मजदूरी दर तय की गई थी। 2019 में दरें बढ़ाई जानी थी लेकिन कंपनी के मालिक और संचालक के दबाव में अफसर ने दरों में वृद्धि नहीं की।
मजदूरी बढ़ाने की लगातार मांग के बावजूद कर्मचारी संगठन की मांग को ठुकराया जा रहा था। हालांकि 10 साल बाद सरकार ने 1 अप्रैल 2024 को सभी श्रेणी के मजदूरों के दरों में बढ़ोतरी की घोषणा की थी।
इसके लिए आदेश जारी किए गए थे लेकिन श्रम विभाग की अधिसूचना के विरोध में उद्योग संगठन ने हाई कोर्ट में स्टे ले लिया। कर्मचारी नेता ने आरोप लगाया कि सरकारी अफसर ने हाई कोर्ट से स्टे हटाने के लिए कोशिश नहीं की। इतना ही नहीं स्टे के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी नहीं लगाई गई है।
सरकार और सरकार की अफसर की इस कुटराघाट व्यवहार से कर्मचारी दल को हर महीने दो से 3000 रूपए का नुकसान हो रहा है। जिसके बाद सरकार से तुरंत कोर्ट से स्टे हटने और बढ़ी हुई दर देने के निर्देश जारी करने के मांग किए गए हैं।
आपके काम की खबरें यहां है...👇🏻👇🏻👇🏻
दोस्तों, हमारे इस वेबसाइट पर आपको ताजा News Update सबसे पहले मिलेगी। चाहे वो Latest News हो, Trending खबरें हो, या फिर Govt Jobs, रोजगार व सरकारी योजनाओं से जुड़ी जानकारी।
हमारी कोशिश है कि आपके काम की हर खबर आप तक सबसे पहले पहुंचे। अगर आप हमारी खबरों का नोटिफिकेशन तुरंत पाना चाहते हैं तो हमारे WhatsApp ग्रुप और टेलीग्राम चैनल से जुड़ सकते हैं।