केंद्र के प्रस्तावित विद्युत संशोधन बिल को CM भूपेश बघेल ने बताया गरीब व किसानों के खिलाफ़, लिखा पत्र
रायपुर @ खबर बस्तर। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने केन्द्र सरकार द्वारा प्रस्तावित विद्युत संशोधन बिल 2020 को गरीब जनता और किसानों के लिए काफी नुकसानदायक बताते हुए इसका का विरोध जताया है। उन्होंने केन्द्रीय विद्युत राज्य मंत्री आरके सिंह को पत्र लिखकर इस संशोधन बिल को फिलहाल स्थगित रखने का आग्रह किया है।
सीएम बघेल ने केन्द्रीय विद्युत मंत्रालय द्वारा तैयार किए गए संशोधन बिल को लागू करने से पूर्व सभी राज्य सरकारों से इस पर विचार-विमर्श करने तथा समाज के गरीब तबको एवं जन सामान्य के हितों का ध्यान रखने की बात कही है।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने केन्द्र सरकार द्वारा प्रस्तावित विद्युत संशोधन बिल 2020 को समाज के गरीब तबकों एवं किसानों के लिए अहितकारी बताते हुए केन्द्रीय विद्युत राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री आर.के. सिंह को पत्र लिखकर संशोधन बिल को फिलहाल स्थगित रखने का आग्रह किया है। pic.twitter.com/lkB4e1A11I
— CMO Chhattisgarh (@ChhattisgarhCMO) June 8, 2020
केन्द्रीय मंत्री को प्रेषित अपने पत्र में मुख्यमंत्री ने कहा है कि इस संशोधन बिल में क्रास सब्सिडी का प्रावधान किसानों और गरीबों के हित में नही है। किसानों को बिजली पर दी जाने वाली सब्सिडी यदि नहीं दी गई किसानों के समक्ष फसलों की सिंचाई को लेकर बड़ी परेशानी उत्पन्न हो जाएगी। इससे खाद्यान्न उत्पादन प्रभावित होगा और देश के समक्ष संकट खड़ा हो जाएगा।
किसानों की मेहनत का हो सम्मान
मुख्यमंत्री ने कहा है कि किसानों और मजदूरों की मेहनत का सम्मान होना चाहिए। जिन्होंने अपनी मेहनत से देश को खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर बनाया है। ऐसे में गरीब वर्ग के लोगों और किसानों को आत्मनिर्भर और सक्षम बनाने के लिए उन्हें रियायत दिया जाना जरूरी है। उन्होंने संशोधित बिल में क्रास सब्सिडी को समिति किए जाने के प्रावधान को अव्यवहारिक बताया।
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सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर सिस्टम जो वर्तमान में लागू है, वह सही है। इसमें बदलाव करने से समाज के गरीब तबके के लोग और लघु एवं सीमांत कृषक लाभ से वंचित हो जाएंगे।
किसानों को होगा नुकसान
मुख्यमंत्री ने कहा है कि यह संशोधन बिल एसी कमरों में बैठ कर तैयार करने वाले उच्च वर्ग के लोगों और सलाहकारों के अनुकूल हो सकता है लेकिन यह जमीनी सच्चाई से बिलकुल परे है। इस संशोधन बिल को लागू करने से देश के गरीब, किसान और विद्युत कम्पनियों और आम लोगों को नुकसान होगा।
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रियायती दर पर किसानों को बिजली न मिलने से फसल सिंचाई प्रभावित होगी। खाद्यान्न उत्पादकता घटेगी जिसके चलते देश के समक्ष खाद्यान्न का संकट पैदा हो जाएगा।
सीएम ने कहा कि इस संशोधन बिल के माध्यम से राज्य सरकारों के अधिकारों की कटौती तथा राज्य विद्युत नियामक आयोग की नियुक्तियों के अधिकारों को केन्द्र सरकार के अधीन किया जाना संघीय ढांचे की व्यवस्था के विपरीत है।
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यह बिल राज्य विद्युत नियामक आयोग के गठन के संबंध में राज्यों को सिर्फ सलाह देने का प्रावधान देता है। नियुक्ति के संबंध में राज्य की सहमति आवश्यक नहीं है। यह प्रावधान राज्य सरकार की शक्तियों का स्पष्ट अतिक्रमण है।
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मुख्यमंत्री ने विद्युत वितरण प्रणाली को आम जनता की जीवन रेखा बताते हुए कहा है कि इसे निजी कम्पनियों का सौंपा जाना किसी भी मामले में उचित नहीं होगा। यह संशोधन विधेयक पूंजीवाद को बढ़ावा देने वाला और निजी कम्पनियों को इलेट्रिसिटी बोर्ड को कब्जा दिलाने वाला है।
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