ईद आई करीब और दाम बढ़े बकरों के… गांवों की ओर सस्ते बकरों की तलाश में जाने लगे लोग
पंकज दाउद @ बीजापुर। अगले हफ्ते बकरीद आने वाली है और कुर्बानी के लिए बकरों की तलाश शुरू हो गई है। इसके लिए जिला मुख्यालय से मुस्लिम समाज के लोग गांवों की ओर रूख कर रहे हैं।
इस साल बकरीद 21 जुलाई को पड़ रही है। अब कुर्बानी के लिए बकरों की जरूरत है। यहां से लोग अब कोइटपाल, तुमनार, पेदाकोड़ेपाल, पोंजेर, रेड्डी, पालनार, मुनगा, तोड़का, गोंगला, कमकानार, ईटपाल, पापनपाल, मोरमेड़, लिंगागिरी, चेरामंगी, दुगईगुड़ा एवं अन्य गांवों की ओर जा रहे हैं।
इस साल बकरे कुछ ज्यादा महंगे हो गए हैं। बताते हैं कि दो से ढाई साल के बकरे की कीमत करीब दस हजार रूपए है और वहीं अधिक उम्र के बकरे करीब पंद्रह हजार में बिक रहे हैं। महंगाई का कारण कोरोना के अलावा बाहर से आने वाले व्यापारी भी हैं।
बताया गया है कि बचेली, दंतेवाड़ा, गीदम, जगदलपुर एवं अन्य स्थानों से व्यापारी आकर गांवों से बकरे थोक में ले जा रहे हैं। एक अनुमान के मुताबिक जिला मुख्यालय में ही 100 से अधिक बकरों की कुर्बानी होती है। यहां तीन दिनों तक कुर्बानी होती है। पहले दिन करीब साठ और दूसरे दिन तीस से पैंतीस बकरों की कुर्बानी दी जाती है। तीसरे दिन कुछ कम बकरे कटते हैं।
नेक काम में चमड़े की रकम
साल दर साल बकरे काटने वाले रेट बढ़ा रहे हैं। पिछले साल तक एक बकरे को काटने का रेट 11 सौ रूपए था लेकिन इस साल ये बढ़कर 12 सौ हो गया है। नैमेड़, भोपालपटनम और आवापल्ली के कसाई भी आकर यहां बकरे काटते हैं। चमड़े को वे खुद ही खरीद लेते हैं और इसकी रकम वे कुर्बानी देने वाले को दे देते हैं। ये रकम मदरसों और यतीम बच्चों को दे दी जाती है।
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