छत्तीसगढ़ का अनोखा मंदिर, जहां होती है कुत्ते की पूजा… CM भूपेश बघेल भी पहुंचे पूजा करने, जानिए मंदिर की खासियत !
रायपुर @ खबर बस्तर। छत्तीसगढ़ के बालोद जिले में एक ऐसा अनोखा और ऐतिहासिक मंदिर है, जहां कुत्ते की पूजा की जाती है। इसी खासियत की वजह से यह मंदिर लोगों की आस्था का प्रमुख केन्द्र है।
बालोद जिला मुख्यालय से महज 6 किमी दूर स्थित खपरी गांव में कुकुर देव मंदिर है। इस ऐतिहासिक मंदिर की वजह से यह गांव समूचे छत्तीसगढ़ में जाना जाता है।
बताया जाता है कि इस पुरातत्वीय महत्व के मंदिर का निर्माण फणी नागवंशीय राजाओं द्वारा 14वीं-15वीं शताब्दी के दरमियान कराया गया था। दरअसल, यह मंदिर एक स्मारक है, जो कि भगवान शिव जी को समर्पित है।
मंदिर के गर्भगृह मे शिवलिंग प्रतिष्ठापित है। वहीं भगवान शिव जी की प्रतिमा के पास स्वामी भक्त कुत्ते की प्रतिमा स्थापित है।
इस मंदिर में क्षेत्रवासियों के अलावा दूर-दूर से लोग यहां श्रद्वापूर्वक आते हैं। मान्यता है कि इस मंदिर में सच्चे मन से मांगी गई मुरादें पूरी होती है। स्थानीय लोगों की मानें तो कुकुर खांसी या कुत्ते के काटने से लोग यहां की मिट्टी भी उपयोग करते हैं।
मंदिर निर्माण की है दिलचस्प कहानी
कुकुरदेव मंदिर के निर्माण को लेकर एक रोचक किंवदंती प्रचलित है, जिसके अनुसार इस मंदिर का निर्माण एक बंजारे ने अपने वफादार कुत्ते की स्मृति में करवाया था।
कहा जाता है कि सदियों पहले एक बंजारा अपने कुत्ते के साथ इस खपरी गांव में आया था। एक बार जब गांव में अकाल पड़ गया , तब उस बंजारे को गांव के साहूकार से कर्ज लेना पड़ा, लेकिन वह कर्ज चुका नहीं पाया। कर्ज नहीं चुका पाने के वजह से बंजारे ने अपने पालतू कुत्ते को साहूकार के पास गिरवी रख दिया।
स्थानीय ग्रामीण बताते हैं कि एक दफा साहूकार के घर बड़ी चोरी हो गई। चोरों ने साहूकार का सारा धन यह सोचकर जमीन के नीचे गाड़ दिया कि मामला शांत होते ही वह उसे बाद में निकाल लेंगे।
उधर, साहूकार के पास गिरवी रखे गए कुत्ते को जमींन के भीतर दबी संपत्ति के बारे में जानकारी लग गई। कुत्ता साहूकार को उस स्थान पर ले गया जहां चोरों ने धन गाड़ दिया था। साहूकार ने जब उस स्थान पर गड्ढा खोदा ,तो उसे अपना सारी दौलत वापस मिल गई।
अपनी दौलत वापस पाकर साहूकार बहुत खुश हुआ। उसने कुत्ते की वफादारी से प्रसन्न होकर उसे आजाद करने का फैसला लिया। साहूकार ने बंजारे के नाम एक पत्र लिखकर उसे कुत्ते के गले में लटका दिया और उसे अपने मालिक के पास भेज दिया।
जब कुत्ता बंजारे के पास पहुंचा, तब उसे लगा कि वह साहूकार के पास से भागकर वापस आ गया है। कुत्ते को देखकर वह आग बबूला हो गया और गुस्से में उसने अपने कुत्ते को पीट-पीटकर मार डाला।
कुत्ते के मरने के बाद बंजारे की नजर उसके गले में लटकी चिट्ठी पर गई और उसने चिट्ठी पढ़ी तो उसकी आंखों में आंसू आ गए।
निर्दोष स्वामी भक्त कुत्ते की हत्या करने का उसे बेहद अफसोस हुआ। आत्मग्लानि और शोक में डूबे बंजारे ने गांव में ही कुत्ते को दफना कर उसका स्मारक बनवा दिया।
आगे चलकर फणी नागवंशीय शासकों द्वारा 14वीं-15वीं शताब्दी के मध्य इस मंदिर का निर्माण कराया गया। आज इस मंदिर को लोग कुकुर मंदिर के नाम से जानते हैं।
सीएम ने की पूजा अर्चना
छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल अपने भेंट मुलाकात कार्यक्रम के दौरान बालोद पहुंचे और उन्होंने सोमवार को कुकुर मंदिर में जाकर पूजा अर्चना की। कुकुरदेव मन्दिर से भेंट मुलाकात स्थल तक मुख्यमंत्री ने पदयात्रा की। जगह जगह पर लोगों ने फूल मालाओं के साथ मुख्यमंत्री का स्वागत किया।
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