Contract Teachers Regularization: छत्तीसगढ़ में पदस्थ संविदा शिक्षकों के लिए बड़ी खुशखबरी आई है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें संविदा शिक्षकों को नियमित करने के हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई थी।
हाईकोर्ट का फैसला बरकरार
सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के 2018 के आदेश को बरकरार रखते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह तीन महीने के भीतर सभी संविदा शिक्षकों को नियमित करें।
यह फैसला संविदा प्राध्यापकों के लिए एक बड़ी जीत है, जो लंबे समय से नियमितीकरण की मांग कर रहे थे।
सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए राज्य सरकार की याचिका खारिज कर दी है और हाई कोर्ट के उस फैसले को बरकरार रखा है जिसमें संविदा शिक्षकों को नियमित करने का आदेश दिया गया था।
संविदा शिक्षकों की लंबे संघर्ष की जीत
यह मामला छत्तीसगढ़ के इंजीनियरिंग और पॉलिटेक्निक कॉलेजों में कार्यरत संविदा शिक्षकों से जुड़ा है। राज्य की पिछली भूपेश बघेल सरकार ने हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की दलील को ठुकरा दिया।
कोर्ट ने कहा कि संविदा शिक्षकों को नियमित करने का कोई वैधानिक प्रावधान नहीं है, लेकिन संविदा शिक्षकों की स्थिति को देखते हुए उनका नियमितीकरण होना जरूरी है।
सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण आदेश
सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय बेंच, जिसमें जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस प्रशांत मिश्र और जस्टिस केवी विश्वनाथन शामिल थे, ने यह महत्वपूर्ण फैसला सुनाया।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस फैसले का लाभ केवल उन्हीं संविदा शिक्षकों को मिलेगा, जिन्होंने अदालत में मामला दायर किया था। कुल 75 संविदा शिक्षकों को इस फैसले से लाभ मिलेगा।
क्या था मामला?
छत्तीसगढ़ के इंजीनियरिंग और पॉलिटेक्निक कॉलेजों में कई सालों से संविदा के आधार पर काम कर रहे शिक्षक नियमितीकरण की मांग कर रहे थे।
उन्होंने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और कोर्ट ने उनके पक्ष में फैसला सुनाते हुए सरकार को आदेश दिया था कि इन शिक्षकों को नियमित किया जाए।
राज्य सरकार को दिया गया समय
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को हाई कोर्ट के आदेश का पालन करने के लिए तीन महीने का समय दिया है।
अब राज्य सरकार को संविदा शिक्षकों को नियमित करने की प्रक्रिया शुरू करनी होगी। इस आदेश के बाद संविदा शिक्षकों के नियमितीकरण का रास्ता साफ हो गया है।
संविदा शिक्षकों की जीत
यह फैसला संविदा शिक्षकों के लिए एक बड़ी राहत लेकर आया है। अब उन्हें अपने भविष्य की चिंता से छुटकारा मिलेगा और उनकी सेवाओं को स्थायी रूप से स्वीकार किया जाएगा। यह फैसला अन्य राज्यों के संविदा शिक्षकों के लिए भी प्रेरणा बन सकता है।
शिक्षकों के लिए बड़ी राहत
यह फैसला संविदा शिक्षकों के लिए एक बड़ी राहत है। लंबे समय से वे नियमित नौकरी की आस लगाए बैठे थे। अब उन्हें नियमित नौकरी मिलने के साथ-साथ वे अन्य सुविधाओं का भी लाभ उठा पाएंगे।
संविदा शिक्षकों का समर्थन
इस मामले में संविदा शिक्षकों का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ वकील अनूप चौधरी और एडवोकेट दीपाली पाण्डेय ने किया, जिन्होंने सफलतापूर्वक संविदा शिक्षकों के हक की लड़ाई लड़ी।
राज्य सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल प्रफुल्ल भारत और अन्य वकीलों ने पक्ष रखा, लेकिन कोर्ट ने संविदा शिक्षकों के पक्ष में फैसला दिया।
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