भोपालपटनम में सिर्फ काला हीरा ही नहीं, एक डायमंड भी है ! जानिए कौन है वो ?
पंकज दाऊद @ बीजापुर। भोपालपटनम में सिर्फ कोरण्डम ही नहीं बल्कि एक डायमण्ड भी है। इस डायमण्ड का नाम है कामेश्वर दुर्गम।
भोपालपटनम ब्लॉक के अंदरूनी गांव तमलापल्ली के कामेश्वर दुर्गम ने राज्यस्तरीय चित्रकला स्पर्धा में कई दिग्गज कलाकारों को पछाड़कर दूसरा स्थान हासिल किया है।
रायपुर के पंडित दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में आदिमजाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान की ओर से 19, 20 एवं 21 अप्रैल को आयोजित राज्यस्तरीय जनजातीय कला एवं चित्रकला स्पर्धा का आयोजन किया गया। ये स्पर्धा कई आयु वर्गों के लिए थी। 30 से अधिक आयुवर्ग में कामेश्वर दुर्गम ने हिस्सा लिया।
कामेश्वर को तब आश्चर्य हुआ जब उन्हें पता चला कि दिग्गज कलाकारों के बीच उन्हें दूसरा स्थान मिला है। उन्होंने भोपालपटनम इलाके के मुरिया जनजाति के ढोल नाचे पर चित्र उकेरा था। इसमें इस इलाके की संस्कृति की झलक दिखाई थी।
कामेश्वर का कहना है कि नई पीढ़ी को भी अपनी संस्कृति को बचाने प्रयासरत रहना चाहिए। इसी मकसद से उन्हेंने ये चित्रकारी की। उन्हें प्रशस्ति पत्र एवं तीन हजार रूपए का पुरस्कार मिलेगा।
इंदिरा कला एवं संगीत विद्यालय खैरागढ़ से उन्होंने 2015 में बैचलर ऑफ फाइन आर्ट की डिग्री हासिल की थी। अब वे सरकारी नौकरी की तलाश में हैं।
ऐसे चलती है आजीविका
वे बताते हैं कि सरकारी काम उन्हें मिल जाता है। इससे कभी माह मे पंद्रह तो कभी बीस हजार रूपए मिल जाते हैं। किसी माह में कुछ भी नहीं मिल पाता हैं। वॉल पेंटिंग वे करते हैं।
वन विभाग से उन्हें सबसे ज्यादा काम मिलता है। स्कूलों में भी वॉल पेंटिंग करते हैं। माता पिता वृद्ध हैं और बहन की मानसिक स्थिति ठीक नहीं हैं। इस वजह से वे गांव में ही रहते हैं।
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