बोधघाट परियोजना पर बस्तर के जनप्रतिनिधियों ने लगाई मुहर… मुख्यमंत्री बोले- प्रोजेक्ट से आएगी बस्तर में समृद्धि, जल्द बनेगी पुनर्वास नीति
रायपुर @ खबर बस्तर। बस्तर की बहुप्रतीक्षित बोधघाट परियोजना को लेकर शनिवार को सीएम भूपेश बघेल ने बस्तर के नेताओं के साथ बड़ी बैठक की। इस बैठक में बस्तर सांसद समेत सभी विधायकों व अन्य जनप्रतिनिधियों ने बोधघाट परियोजना पर सहमति जताते हुए परियोजना शुरू होने से पहले पुनर्वास नीति बनने की वकालत की।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि बस्तर के लोगों को विश्वास में लेकर ही बोधघाट परियोजना को आगे बढ़ाया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रभावित लोगों के रोजगार, मकान और जमीन के बदले पुनर्वास नीति के तहत जमीन की व्यवस्था की जाएगी।
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सीएम बघेल ने कहा कि बोधघाट परियोजना बस्तर की जरूरत है। बस्तर संभाग में एक भी सिंचाई का बड़ा प्रोजेक्ट नहीं है। यहां सिंचाई प्रतिशत न्यूनतम है। वनों की अधिकता के बावजूद मानसून गड़बड़ाने पर सूखे से सबसे ज्यादा बस्तर अंचल ही प्रभावित होता है। इंद्रावती नदी के जल का सदुपयोग कर बस्तर को खुशहाल और समृद्ध बनाने के लिए बोधघाट परियोजना जरूरी है।
परियोजना से आएगी बस्तर में समृद्धि
सीएम ने कहा कि बोधघाट परियोजना बस्तर के विकास और समृद्धि के लिए है। यह ऐसा पहला प्रोजेक्ट है, जिसका सीधा लाभ बस्तरवासियों को मिलेगा। बीते 40 वर्षों से लंबित यह परियोजना पहले बस्तर और वहां के लोगों के जरूरतों के अनुकूल नहीं थी।
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इस परियोजना में आमूलचूल परिवर्तन कर इसे सिंचाई परियोजना के रूप में विकसित किया गया हैै। जिसका लाभ बस्तर संभाग के विभिन्न जिलों में रहने वाले ग्रामीणों और किसानों को मिलेगा। बैठक में पूर्व केन्द्रीय मंत्री अरविंद नेताम को भी आमंत्रित किया गया था। वे पहले इस परियोजना का विरोध करते रहे हैं। इन सभी ने बोधघाट परियोजना पर अपनी मुहर लगा दी है।
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पूर्व केन्द्रीय मंत्री नेताम ने कहा कि वे बोधघाट परियोजना का विरोध करते रहे हैं। लेकिन अब इस परियोजना की प्राथमिकता सिंचाई है, इसलिए यह बस्तर के लिए जरूरी है। उन्होंने खुशी जाहिर की कि उनका सौभाग्य है कि वे फिर नीति बनाने के लिए बैठे हैं।
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बता दें कि बोधघाट परियोजना से बस्तर संभाग के अत्यंत पिछड़े जिले सुकमा, दंतेवाड़ा और बीजापुर में सिंचाई की सुविधा विकसित होगी। इस परियोजना के पूरा होने से सवा तीन लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई होगी।
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जल संसाधन मंत्री रविन्द्र चौबे ने कहा कि इस परियोजना से बस्तर की अर्थव्यवस्था में बदलाव आएगा। उन्होंने आकर्षक पुनर्वास एवं व्यवस्थापन की नीति तैयार करने का सुझाव दिया। वहीं वन मंत्री मो. अकबर ने प्रोजेक्ट को चरणबद्ध तरीके से पूरा करने का सुझाव दिया, जिस पर सीएम बघेल ने इसका परीक्षण कराने की बात कही।
आम लोगों से लेंगे सुझाव
उद्योग मंत्री कवासी लखमा ने कहा कि परियोजना से प्रभावितों को बताना होगा कि उनको क्या लाभ मिलेगा। साथ ही प्रोजेक्ट शुरू करने से पहले व्यवस्थापन के लिए जमीन का चिन्हांकिंत किया जाए। आबकारी मंत्री लखमा ने कहा कि इस परियोजना के लिए आम लोगों के बीच जाकर भी सुझाव लिए जाएंगे। राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने कहा कि आम जनता से चर्चा कर पुनर्वास नीति तय की जाएगी।
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सिंचाई विभाग के सचिव अविनाश चंपावत ने पावर-प्वाइंट प्रजेंटेशन के जरिए बताया कि इससे बस्तर की इकोनॉमी में 6 हजार 223 करोड़ रुपए की बढ़ोत्तरी होगी। छत्तीसगढ़ इंद्रावती नदी के 300 टीएमसी जल का उपयोग कर सकता है। वर्तमान में मात्र 11 टीएमसी जल का उपयोग हो रहा है। इससे 3 लाख 66 हजार हेक्टेयर में सिंचाई और लगभग 300 मेगावाट विद्युत का उत्पादन होगा।
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