घोर #मानसिक यातना #झेलने के बाद #आखिर घर लौटी #युवतियां… #सखी_सेंटर ने किया परिजनों के #हवाले
पंकज दाऊद @ बीजापुर। नक्सलियों के चंगुल में रहकर घोर मानसिक यातना झेलने के बाद मुक्त कराई गईं दो युवतियां आखिर सखी सेंटर के माध्यम से अपने घर लौट गईं। सखी सेंटर ने उन्हें उनके परिजनों को सौंप दिया। इधर, नई दिल्ली से दलालों से मुक्त कराई गई तीन बालिकाओं को भी सखी सेंटर में आश्रय दिया गया है।
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सूत्रों के मुताबिक सुकमा जिले के चिंतागुफा थाने से कुछ दिन पहले फोर्स सर्चिंग पर निकली थी। कुमोड़तोंग गांव के पास नक्सली जवानों को देख भाग गए। वहां दो युवतियां मिलीं। ये युवतियां उसूर ब्लॉक की थीं।
इन युवतियों ने पुलिस को बताया कि नक्सली उन्हें जबरिया घर से ले आए थे और संगठन में भर्ती करने के नाम पर उन्हें प्रशिक्षण दे रहे थे। वे एक माह से नक्सलियों के साथ थीं। युवतियों ने पुलिस से मदद मांगी और परिजनों तक पहुंचाने की गुहार लगाई।
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दोनों युवतियों को पुलिस ने सखी वन स्टॉप सेंटर सुकमा के हवाले कर दिया। इसके बाद उन्हें सखी वन स्टॉप सेंटर बीजापुर भेजा गया। यहां इनकी 19 से 25 जनवरी तक आश्रय दिया गया और काउंसिलिंग के बाद 25 जनवरी को थाने के माध्यम से उन्हें परिजनों के सुपूर्द किया गया। इन युवतियों को सहयोग राशि भी दी गई।
एक और मामला भी इसी माह सामने आया। 18 जनवरी को कोमला गांव के एक व्यक्ति ने नैमेड़ थाने में रिपोर्ट लिखाई कि उनकी बेटी को छह माह पहले बहला फुसलाकर नई दिल्ली ले जाया गया है। जांच के दौरान पता चला कि मिंगाचल और दुगोली की दो और बालिकाओं को भी बड़े शहरों में इसी तरह ले जाया गया है।
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एसपी दिव्यांग पटेल ने इन बालिकाओं को लाने एक विशेष टीम दिल्ली भेजी। वहां से इन तीनों बालिकाओं को मुक्त कराकर यहां लाया गया। बालिकाओं को सखी सेंटर बीजापुर में 26 जनवरी से अब तक आश्रय दिया गया है।
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इस बारे में सखी वन स्टॉप सेंटर की केन्द्र प्रशासक तुलिका सतपथी ने बताया कि दो युवतियों को काउंसिलिंग कर उन्हें परिजनों को सौंपा गया है। तीन बालिकाओं को अभी आश्रय दिया गया है। काउंसिलिंग के बाद उन्हें भी थाने के माध्यम से परिजनों को सौंप दिया जाएगा। फिलहाल उनके परिजनों का इंतजार किया जा रहा है।
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