बहन ने लिया वचन तो 8 लाख के इनामी नक्सली ने किया सरेंडर, 12 साल बाद भाई की कलाई पर सजा रक्षासूत्र
दंतेवाड़ा @ खबर बस्तर। कई सालों से रक्षाबंधन पर्व पर अपने भाई की कलाई में रक्षासूत्र बांधने की हसरत लिए लिंगे जीती रही। उसका भाई घनघोर जंगलों में लाल लड़ाकों की टोली में घूमता रहा। खून खराबा और हिंसा उसकी जिंदगी का हिस्सा बन चुका था। आखिरकार, बहन की चाहत रंग लाई और उसके प्रोत्साहन से भाई ने नक्सलवाद का दामन छोड़कर शांति का रास्ता अख्तियार कर लिया।
ये कोई कहानी नहीं, हकीकत है। दंतेवाड़ा में पुलिस द्वारा शुरू किए गए ‘लोन वार्राटू’ अभियान को वैसे तो अब तक कई बड़ी कामयाबियां मिली है, लेकिन इस बार इसके जरिये न सिर्फ एक नक्सली समाज की मुख्यधारा में शामिल हुआ है, बल्कि एक भाई को उसकी बहन से मिलाने का काम इस अभियान ने किया है।
Read More:
राखी पर राहत: कलेक्टर ने इन दुकानों को खोलने की दी इजाजत https://t.co/zXOkEbxQiU
— Khabar Bastar (@khabarbastar) August 2, 2020
शनिवार को 8 लाख के इनामी नक्सली मल्ला तामो ने पुलिस व सीआरपीएफ अफसरों के समक्ष सरेंडर किया। उसे नक्सलवाद की काली परछाई से निजात दिलाने में उसकी बहन लिंगे ने अहम किरदार निभाया। दरअसल, सालों बाद जब मल्ला गांव पहुंचा तो लिंगे ने दो टूक कहा कि वह राखी तभी बांधेगी जब वह सरेंडर करेगा।
बहन लिंगे ने अपने नक्सली भाई को सरेंडर करने राजी किया और वचन लिया कि वो अब कभी भी हिंसा को नहीं अपनाएगा और आत्मसमर्पण कर शांतिपूर्ण जीवन जीएगा। आखिरकार, बहन के स्नेह की जीत हुई और भाई मल्ला ने नक्सलवाद से तौबा करने का मन बना लिया। इस मौके पर लिंगे ने पुलिस के सामने मल्ला की आरती उतारी और कलाई में राखी बांधी।
बता दें कि मल्ला तामो भैरमगढ़ एरिया के पश्चिम बस्तर डिवीजन कमेटी में सक्रिय था। पुलिस के मुताबिक, वह प्लाटून नंबर 13 का डिप्टी कमांडर था। उस पर शासन द्वारा 8 लाख का इनाम घोषित किया गया था। कई सालों तक नक्सली संगठन में रहने के बाद उसने बहन के कहने पर सरेंडर करने का फैसला किया और पुलिस के सामने राखी भी बंधवाई।
Read More:
लाल भाजी नहीं खा सके नक्सली, पुलिस आई तो भाग निकले https://t.co/Vdt9XiTnS0
— Khabar Bastar (@khabarbastar) July 31, 2020
आपको बताते चलें कि लोन वर्राटू अभियान शुरू होने के बाद से दंतेवाड़ा जिले में नक्सलवाद पर बहुत हद तक लगाम लगी है। अब तक इस अभियान के जरिये 60 से अधिक नक्सली हिंसा का मार्ग छोड़कर सरेंडर कर चुके हैं। हाल ही में आत्मसमर्पित नक्सलियों को प्रशासन द्वारा ट्रैक्टर भी मुहैया कराया गया है, जिससे पूर्व नक्सली खेती कर रहे हैं।
ये सब सकारात्मक कोशिशें बदलते दंतेवाड़ा की नई पहचान बनकर उभर रही हैं। वहीं ‘लोन वर्राटू ‘अभियान दक्षिण बस्तर में नक्सलवाद के ताबूत में आखिरी कील साबित हो रहा है।
- आपको यह खबर पसंद आई तो इसे अन्य ग्रुप में Share करें…
आपके काम की खबरें यहां है...👇🏻👇🏻👇🏻
दोस्तों, हमारे इस वेबसाइट पर आपको ताजा News Update सबसे पहले मिलेगी। चाहे वो Latest News हो, Trending खबरें हो, या फिर Govt Jobs, रोजगार व सरकारी योजनाओं से जुड़ी जानकारी।
हमारी कोशिश है कि आपके काम की हर खबर आप तक सबसे पहले पहुंचे। अगर आप हमारी खबरों का नोटिफिकेशन तुरंत पाना चाहते हैं तो हमारे WhatsApp ग्रुप और टेलीग्राम चैनल से जुड़ सकते हैं।