सरकारी डेयरी बदहाल: गायें 14 और दूध निकल रहा 7 लीटर… सफेद हाथी बना दुग्ध उत्पादन केन्द्र, लाखों खर्च के बावजूद नतीजा शून्य !
पंकज दाऊद @ बीजापुर। यहां कुछ साल पहले बने सरकारी डेयरी का सूरत-ए-हाल बहुत बुरा है। डेयरी की बदहाली का आलम यह है कि सरकार 14 गायों के पीछे हर माह लाखों खर्च कर रही है फिर भी रोजाना सिर्फ 7 लीटर दूध ही निकल रहा है।
सूत्रों केे मुताबिक कुछ साल पहले इंटीग्रेटेड एक्शन प्लान (आईएपी) के तहत उप संचालक पशुधन विकास के समीप डेयरी का संचालन शुरू हुआ। इसमें आज की स्थिति में अभी 14 गायें हैं। ये साहिवाल और जर्सी संकर (क्राॅस) नस्ल की गायें हैं। इनमें से अभी दो गायें ही रोजाना सात लीटर दूध दे रही हैं।
डेयरी में दोनों गायें जर्सी संकर हैं। बाकि 12 गायें सिर्फ चारा और दाना खा रही हैं। इन पर भारी भरकम राशि खर्च हो रही है। इसके बावजूद नतीजा सिफर है।
बता दें कि डेयरी में गायों की देखरेख के लिए दो शिफ्ट में चार केयर टेकर भी रखे गए हैं। इनकी तनख्वाह पर अलग खर्च है। वहीं बिजली और पानी का खर्च भी है। पता चला है कि इन अनप्रोडक्टिव गायों को नीलाम किया जा सकता है क्योंकि इससे सरकार पर अनावश्यक खर्च आ रहा है।
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— Khabar Bastar (@khabarbastar) July 16, 2020
कैसे चलेगा ये विभाग
जिले में पशुधन विकास विभाग में डाॅक्टर और सहायक पशु क्षेत्र अधिकारियों (एवीएफओ) की भारी कमी है। जिले में सात चिकित्सालय और आठ औषधालय हैं। डाॅक्टर की 13 पोस्ट मंजूर हैं लेकिन केवल दो ही डाॅक्टर हैं। इसी तरह एवीएफओ के 14 पद स्वीकृत हैं जबकि केवल पांच पद ही भरे हुए हैं और उनमें भी एक एवीएफओ को तकनीकी कामों के लिए जिला कार्यालय में अटैच किया गया है।
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— Khabar Bastar (@khabarbastar) July 15, 2020
नेतानगरी भी खाली
बस्तर विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष एवं विधायक विक्रम शाह मण्डावी, पूर्व वन मंत्री महेश गागड़ा एवं जेसीसी के जिलाध्यक्ष सकनी चंद्रैया के गृहग्राम भैरमगढ़ में ना तो डाॅक्टर हैं और ना ही एवीएफओ। इस पर किसी ने अब तक कोई ध्यान नहीं दिया। जिले की बात तो दूर। जिले में करीब तीन लाख गाय और भैंस हैं लेकिन इनके इलाज के लिए माकूल अमला नहीं है।
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