Covid-19 इफेक्ट: इश्क वाली शादी का जुर्माना लेने आना पड़ा भारी..! कोरोना संकट में ऐसे फंस गए 14 नेशनल आर्टिस्ट, पढ़िए ये खबर
पंकज दाऊद @ बीजापुर। बस्तर की कुछ जनजातियों में सामाजिक विवाह हो या प्रेम विवाह, लड़के को जुर्माना भरना पड़ता है। इसके बाद ही सब कुछ ठीक ठाक हो जाता है लेकिन इस बार कुछ अलग हुआ।
दरअसल, पूरी दुनिया को हिला देने वाले कोरोना वायरस ने इस रस्म में जुर्माना लेने आए 14 लोगों को लड़के के गांव भैरमगढ़ ब्लाॅक के चिंतनपल्ली में ही कैद होने पर मजबूर कर दिया है।
बस्तर जिले के किलेपाल गुढ़ियापारा से 20 मार्च को गौर नृत्य के राष्ट्रीय कलाकार गणेश मण्डावी अपने 13 साथियों के साथ बस से फरसेगढ़ के समीप बसे गांव चिंतनपल्ली आए थे। दरअसल, उनके गांव की लड़की सोमड़ी का प्रेम विवाह चिंतनपल्ली के बोटी के साथ कोई आठ साल पहले हुआ था।
इस जनजाति में लड़के के परिवार से लड़की के गांव के लोग इस एवज में जुर्माना (खर्च) लेने जाते हैं। गणेश मण्डावी भी इसी सिलसिले में चिंतनपल्ली आए थे। एक सवाल के जवाब में गणेश का कहना था कि अच्छे सगे हों तो जुर्माना या खर्च कई साल बाद भी लिया जा सकता है। इस वजह से वे इस साल आए।
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लड़के के परिवार वालों ने सूअर और बकरा दिया। जब गणेश और उनके साथी 23 मार्च को चिंतनपल्ली से निकल मोरमेड़ गांव तक ट्रैक्टर से आए तो उन्हें पता चला कि लाॅक डाऊन है और वे कहीं नहीं जा सकते। उन्हें वापस चिंतनपल्ली जाना पड़ा। वे अभी अपने संबंधी मड्डा कवासी के घर रूके हुए हैं।
उल्लेखनीय है कि ये 14 लोग गौर नृत्य के नामवर कलाकार हैं। दो माह पहले इनके नर्तक दल को रायपुर में हुए एक फेस्टिवल में प्रथम पुरस्कार के तौर पर पांच लाख रूप मुख्यमंत्री भूपेष बघेल ने दिए थे। इसके पहले भी इस दल को दूसरे क्रम पर आने पर पचास हजार रूपए का पुरस्कार मिला था।
ये कहा एमएलए ने
बस्तर विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष एवं स्थानीय विधायक विक्रम शाह मण्डावी ने कहा कि इन कलाकारों के रहने और खाने की व्यवस्था की जाएगी। उन्होंने कहा कि लाॅक डाऊन में सभी की सहुलियतों का ख्याल रखा जाएगा।
विधायक ने लोगों से संकट की इस घड़ी में लाॅक डाऊन का समर्थन करते आवश्यक सावधानी बरतने की अपील भी की है। उन्होंने कहा कि बेसबब घर से ना निकलें और सोशल दूरी बनाए रखें।
ये है वधुमूल्य
बस्तर के मानवविज्ञानी डाॅ राजेन्द्र सिंह का कहना है कि ये संस्कृति बस्तर में बसने वाली दण्डामी माड़िया जनजाति की है। जब समाज में रीति रिवाज से विवाह होता है, तब भी वर पक्ष से वधु पक्ष खर्च लेता है।
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ऐसी स्थिति में जब प्रेम विवाह कर लड़की लड़के के घर चली जाती है, तब लड़की के गांव वाले खर्च या जुर्माना लेने लड़के के गांव जाते हैं। तब वे ज्यादा से ज्यादा खर्च लेने की कोशिश करते हैं। दरअसल, ये एक प्रकार का वधुमूल्य है। ये दहेज के उलट है।
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