Samvida Karmchari Regularization Latest News: संविदा कर्मचारियों के लिए खुशखबरी! लंबे समय से अस्थायी नौकरी कर रहे संविदा कर्मचारियों के लिए सरकार ने एक बड़ा कदम उठाने का निर्णय लिया है।
राज्य सरकार ने नगरीय निकायों में कार्यरत संविदा कर्मचारियों को नियमित करने की प्रक्रिया तेज कर दी है। लंबे समय से स्थायी नौकरी की मांग कर रहे अस्थायी कर्मचारियों के लिए यह खबर किसी वरदान से कम नहीं।
सरकार के इस फैसले से हजारों कर्मचारियों की जिंदगी बदलने की उम्मीद है। सरकार ने नियमितीकरण इस दिशा में ठोस कदम उठाते हुए सभी संबंधित विभागों और निकायों से प्रस्ताव मांगे हैं। जल्द ही इन प्रस्तावों पर निर्णय लेकर नियमितीकरण के आदेश जारी किए जाएंगे।
संविदा कर्मचारियों की पूरी होगी मुराद
प्रदेश के हजारों संविदा कर्मचारियों को नियमित नौकरी का इंतजार वर्षों से है। ये कर्मचारी सरकारी विभागों में काम तो करते हैं, लेकिन उनकी नौकरी स्थायी नहीं होती। समय-समय पर उन्हें सेवा से हटा दिया जाता है। ऐसे में नौकरी की अनिश्चितता उनके लिए बड़ी समस्या बनी रहती है।
सरकार ने अब इनकी मांगों को गंभीरता से लेते हुए नियमितीकरण की प्रक्रिया शुरू कर दी है। सूत्रों के अनुसार, सरकार ने सभी नगरीय निकायों से प्रस्ताव मांगा है ताकि इस पर जल्द निर्णय लिया जा सके।
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नियमितीकरण की कवायद तेज
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार द्वारा प्रस्ताव मांगे जाने के बाद नगरीय निकायों ने अपनी ओर से तैयारी शुरू कर दी है। इन प्रस्तावों पर सहमति मिलने के बाद कार्मिक और वित्त विभाग से अनुमति लेकर नियमितीकरण के आदेश जारी होंगे। अनुमान है कि इस प्रक्रिया को इस महीने के भीतर ही पूरा कर लिया जाएगा।
मुख्य बिंदु:
- नियमितीकरण का लाभ सिर्फ उन्हीं कर्मचारियों को मिलेगा, जो लंबे समय से सेवा में हैं।
- 2016 में तैयार नीति के अनुसार, दिसंबर 2001 या उससे पहले से काम कर रहे कर्मचारियों को प्राथमिकता दी जाएगी।
- शहरी निकायों को ही कर्मचारियों की सैलरी और अन्य खर्च वहन करना होगा।
क्या है सरकार की योजना?
सूत्रों की मानें तो शहरी निकाय अपने संसाधनों से ही कर्मचारियों की तनख्वाह आदि का प्रबंधन करेंगे। इससे सरकार पर वित्तीय बोझ नहीं पड़ेगा और प्रक्रिया को सुचारू रूप से अंजाम दिया जा सकेगा।
संभावित लाभ:
- संविदा कर्मचारियों को स्थायी नौकरी का लाभ मिलेगा।
- नौकरी की अनिश्चितता खत्म होगी।
- सरकार पर वित्तीय भार नहीं बढ़ेगा।
2016 की नीति फिर से आई चर्चा में
2016 में कार्मिक विभाग ने एक विनियमितीकरण नीति तैयार की थी, जिसके तहत 2001 से पहले नियुक्त संविदा कर्मचारियों को स्थायी किया जाना था। लेकिन वित्त विभाग की आपत्तियों के कारण यह योजना अटक गई थी। अब उसी नीति के तहत कर्मचारियों को नियमित करने की प्रक्रिया तेज हो गई है।
क्या कहती है विनियमितीकरण नीति?
साल 2016 में कार्मिक विभाग ने एक विनियमितीकरण नीति बनाई थी। इसके तहत दिसंबर 2001 या उससे पहले से काम कर रहे संविदा और डेलीवेज कर्मचारियों को रिक्त पदों पर नियमित करने का प्रावधान था।
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हालांकि, इस प्रस्ताव पर वित्त विभाग ने कुछ आपत्तियां जताई थीं। अब सरकार इस नीति को फिर से लागू करने की योजना बना रही है।
नियमितीकरण से संविदा कर्मचारियों में खुशी
इस फैसले की खबर सुनते ही संविदा कर्मचारियों में खुशी की लहर दौड़ गई है। वर्षों से अपने हक की लड़ाई लड़ रहे ये कर्मचारी अब उम्मीद कर रहे हैं कि जल्द ही उनकी मेहनत का फल मिलेगा।
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