RRB Consolidation: अक्सर हम यह सोचते हैं कि बैंकों में हमारे पैसे और खाते पूरी तरह से सुरक्षित हैं, लेकिन एक बड़ा बदलाव सामने आ रहा है। मोदी सरकार ने 15 बैंकों के मर्जर का फैसला किया है।
सरकार के इस फैसले से बैंकिंग सेक्टर में एक नया मोड़ आ सकता है। अगर आप भी बैंक खाताधारक हैं तो यह खबर आपके लिए बेहद महत्वपूर्ण हो सकती है। आइए जानते हैं, किन बैंकों का होगा विलय और इस फैसले के पीछे की वजह क्या है।
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15 बैंकों का होगा विलय
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है, जिसके तहत देशभर के 15 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (RRB) का विलय किया जाएगा। इस फैसले का उद्देश्य बैंकिंग प्रणाली को और अधिक मजबूत बनाना है, जिससे ग्रामीण इलाकों में बेहतर वित्तीय सेवाएं दी जा सकें।
वित्त मंत्रालय ने हाल ही में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के विलय की प्रक्रिया का चौथा चरण शुरू कर दिया है। इस फैसले के बाद, 43 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की संख्या घटकर 28 हो जाएगी। इन बैंकों का विलय विभिन्न राज्यों में किया जाएगा।
मोदी सरकार का बड़ा फैसला
देश में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (RRBs) के विलय का चौथा चरण अब शुरू हो चुका है, जिसके बाद 43 बैंकों की संख्या घटकर 28 हो जाएगी।
वित्त मंत्रालय ने यह फैसला इस दृष्टिकोण से लिया है कि इन बैंकों का विलय कर समेकन किया जाए ताकि बैंकिंग सुविधाएं ग्रामीण क्षेत्रों तक सही तरीके से पहुंच सकें।
क्या है RRB Consolidation की डिटेल?
वित्त मंत्रालय ने एक खाका तैयार किया है, जिसके तहत विभिन्न राज्यों में 15 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का विलय किया जाएगा। इस फैसले का उद्देश्य राज्य-विशेष में एक ही क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक की स्थापना करना है, ताकि बैंकिंग सेवाएं अधिक दक्षता से चल सकें और प्रशासन में सुधार हो सके।
किस राज्य में कौन से बैंक होंगे बंद?
इस प्रक्रिया के तहत, जिन राज्यों में ये विलय किए जाएंगे, उनमें आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार, गुजरात, जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा और राजस्थान शामिल हैं।
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- आंध्र प्रदेश में चार बैंक
- उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में तीन-तीन बैंक
- बिहार, गुजरात, जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, और राजस्थान में दो-दो बैंक
इसके अलावा तेलंगाना में आंध्र प्रदेश और तेलंगाना ग्रामीण बैंकों के विलय का कार्य किया जाएगा।
क्या आपकी जेब पर होगा असर?
यह बदलाव उन ग्राहकों के लिए अहम हो सकता है जो इन बैंकों के माध्यम से सेवाएं ले रहे हैं। विलय के बाद आपको अपने पुराने बैंक के नाम और शाखा को लेकर बदलाव देखने को मिल सकते हैं।
हालांकि, इन बदलावों से बैंकिंग सुविधाओं पर कोई नकारात्मक असर नहीं पड़ेगा और नई व्यवस्था से ग्राहकों को बेहतर सेवाएं मिल सकेंगी।
अब तक क्या हुआ?
आरआरबी का समेकन पहली बार 2004-05 में शुरू हुआ था। उसके बाद 2020-21 तक तीन चरणों के विलय में इनकी संख्या 196 से घटकर 43 हो गई। अब सरकार इस प्रक्रिया को और तेज कर रही है और इसे चौथे चरण में पूरा करने की दिशा में काम कर रही है।
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RRB में सरकार की हिस्सेदारी
इन बैंकों की स्थापना 1976 में आरआरबी अधिनियम के तहत की गई थी, जिसका मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों के छोटे किसानों, मजदूरों और कारीगरों को ऋण मुहैया कराना था।
इस समय केंद्र सरकार की इन बैंकों में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी है, जबकि राज्य सरकारों और प्रायोजक बैंकों की हिस्सेदारी क्रमशः 35 और 15 प्रतिशत है।
क्या आपका बैंक भी होगा प्रभावित?
यह सवाल आपके मन में भी आ सकता है कि क्या आपके राज्य का या आपके बैंक का भी समेकन होगा। आपको डरने की जरूरत नहीं है, क्योंकि यह प्रक्रिया धीरे-धीरे लागू की जाएगी और इसे लेकर सरकार समय-समय पर दिशा-निर्देश जारी करेगी।
यदि आपका बैंक इस विलय में शामिल होता है तो आपको इसके बारे में पहले से जानकारी दी जाएगी।
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