Adivasi Jamin Kharedi Bikri: क्या आप जानते हैं कि अब आदिवासी अपनी जमीन किसी को भी बेच सकते हैं? जी हां, आपने सही सुना! हाल ही में हाईकोर्ट ने एक ऐसा फैसला सुनाया है जिसने आदिवासी समुदाय के जीवन में तहलका मचा दिया है।
पिछले कई सालों से आदिवासियों की जमीन को लेकर कानून काफी सख्त थे। गैर-आदिवासी लोग उनकी जमीन नहीं खरीद सकते थे। लेकिन अब हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद स्थिति बदल गई है।
कई सालों से आदिवासी समुदाय के लोग अपनी जमीन बेचने के लिए संघर्ष कर रहे थे। लेकिन अब हाईकोर्ट के इस फैसले से उन्हें बड़ी राहत मिली है। आइए जानते हैं इस फैसले के पीछे की कहानी और इससे आदिवासियों के जीवन पर क्या असर पड़ेगा।
क्या है मामला?
बता दें कि छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, ओडिशा और झारखंड जैसे राज्यों में आदिवासी समुदाय की आबादी काफी अधिक है। इन राज्यों में कई ऐसे इलाके हैं जहां सिर्फ आदिवासी ही रहते हैं।
आदिवासियों को शोषण से बचाने के लिए सरकार ने कानून बना रखा है कि उनकी जमीन गैर-आदिवासी नहीं खरीद सकते।
इन राज्यों में आदिवासियों की जमीन को बचाने के लिए कई कानून बनाए गए हैं। इन कानूनों के मुताबिक, आदिवासी अपनी जमीन सिर्फ आदिवासी समुदाय के लोगों को ही बेच सकते हैं।
लेकिन हाईकोर्ट ने अपने ताजा फैसले में इस नियम में बदलाव किया है। अब अगर कोई आदिवासी का शहरी क्षेत्र में गैर-कृषि जमीन है, तो वह उसे गैर आदिवासी व्यक्ति को भी बेच सकता है।
अब ओडिशा हाई कोर्ट ने इस नियम में कुछ ढील दी है। कोर्ट ने कहा है कि अगर कोई आदिवासी शहरी इलाके में रहता है और उसकी जमीन खेती के काम नहीं आती तो वह उसे किसी को भी बेच सकता है।
क्या कहा हाईकोर्ट ने?
हाईकोर्ट ने कहा कि यदि कोई आदिवासी व्यक्ति शहरी क्षेत्र में रहता है और उसकी जमीन खेती के लायक नहीं रह गई है, तो वह अपनी जमीन किसी भी वर्ग के व्यक्ति को बेच सकता है।
इसके लिए तहसीलदार की रिपोर्ट जरूर लेनी होगी, लेकिन सब-रजिस्ट्रार इस पर रोक नहीं लगा सकता। कोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसे मामलों में ओडिशा भूमि सुधार अधिनियम 1960 की धारा 22 लागू नहीं होगी।
क्यों लिया गया यह फैसला?
आदिवासी समुदाय को शोषण से बचाने के लिए पहले से ही कानून बना हुआ है जिसके तहत आदिवासी जमीन को अन्य वर्ग के लोग नहीं खरीद सकते थे। लेकिन ओडिशा हाईकोर्ट ने माना कि शहरी क्षेत्रों में स्थित जमीन के लिए यह नियम थोड़ा सख्त है।
क्या कहता है हाई कोर्ट का फैसला?
- शहरी और गैर-कृषि भूमि: हाई कोर्ट ने कहा है कि अगर कोई जमीन शहरी इलाके में है और खेती के काम नहीं आती तो उस पर पुराना नियम लागू नहीं होगा। आदिवासी मालिक उस जमीन को किसी भी व्यक्ति को बेच सकता है।
- तहसीलदार की रिपोर्ट: हालांकि, जमीन बेचने से पहले आदिवासी को तहसीलदार से एक रिपोर्ट लेनी होगी। इस रिपोर्ट में यह साबित करना होगा कि जमीन वाकई में खेती के काम नहीं आती।
- राजस्व प्राधिकरण की जांच: हाई कोर्ट ने कहा है कि जमीन की उपयोगिता के बारे में एक अधिकृत राजस्व प्राधिकरण भी जांच करेगा। यह प्राधिकरण यह तय करेगा कि जमीन किस काम के लिए इस्तेमाल की जा सकती है।
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