मानदेय बढ़ाने का ऐलान: स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल होगी छत्तीसगढ़ी भाषा, छेड़छाड़ के आरोपियों को नहीं मिलेगी नौकरी, CM भूपेश बघेल ने की घोषणा
रायपुर @ खबर बस्तर। स्वतंत्रता दिवस के मौके पर राजधानी रायपुर के पुलिस परेड ग्राउंड में आयोजित समारोह में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ध्वज्जारोहण कर परेड की सलामी ली। उन्होंने इस मौके पर कई महत्वपूर्ण घोषणाएं की है।
मानदेय राशि में बढ़ोतरी
सीएम भूपेश बघेल ने शहरी स्वच्छता दीदियों के मानदेय मेंभी 20 प्रतिशत वृद्धि की घोषणा की। उन्होंने कहा कि स्वच्छता दीदियों के उत्कृष्ट कार्यो के कारण ही हमारे प्रदेश नें लगातार तीन बार देश का स्वच्छतम राज्य होने का गौरव हासिल किया है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने शहरी आजीविका के क्षेत्र में कार्यरत सामुदायिक संगठकों के उत्कृष्ट कार्यों को देखते हुये उनके मानदेय में 20 प्रतिशत बढ़ोतरी की घोषणा की है।
सीएम ने औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थाओं में कार्यरत संविदा प्रशिक्षण अधिकारियों के एकमुश्त संविदा वेतन को 25,780 रूपये से बढ़ाकर 32,740 रूपये प्रतिमाह करने तथा मेहमान प्रवक्ताओं के प्रतिमाह अधिकतम भुगतान की सीमा को 13,000 रू से बढ़ाकर 15,000 रू प्रतिमाह करने की घोषणा की है।
मुख्यमंत्री बघेल ने शिक्षा सुविधाओं में अपना महत्वपूर्ण योगदान देने वाले अंशकालीन सफाई कर्मी भाई-बहनों को एवं मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम से जुड़े रसोइयों के मानदेय में 500 रूपये प्रतिमाह वृद्धि किये जाने की घोषणा की है।
पेंशन योजना का शुभारंभ
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मेहनतकश निर्माण श्रमिकों के लिए मुख्यमंत्री निर्माण श्रमिक पेंशन सहायता योजना प्रारंभ करने की घोषणा की। निर्माण कार्य करने वाले ऐसे मजदूर जिनकी आयु 60 वर्ष पूरी हो चुकी हो तथा जो 10 साल तक पंजीकृत रहे हैं, उन्हें जीवन पर्यंत हर महीने 1500 रूपये मासिक पेंशन दी जायेगी।
छेड़छाड़ के आरोपियों को नहीं मिलेगी नौकरी
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि महिलाओं की सुरक्षा, सम्मान एवं उनकी अस्मिता बनाये रखना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। हम निर्णय लेने जा रहे हैं कि बालिकाओं एवं महिलाओं से छेड़छाड़, दुष्कर्म आदि के आरोपियों को शासकीय नौकरियों से प्रतिबंधित किया जायेगा।
स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल होगी छत्तीसगढ़ी भाषा
सीएम ने कहा कि छत्तीसगढ़ की अस्मिता और पहचान छत्तीसगढ़ी भाषा से है। मैं आज यह घोषणा करता हूँ कि अगले शिक्षा सत्र से राज्य के जिन क्षेत्रों में छत्तीसगढ़ी भाषा बोली जाती है, वहां छत्तीसगढ़ी भाषा एवं आदिवासी क्षेत्रों में वहां की स्थानीय बोली को कक्षा एक से कक्षा पांचवी तक पाठ्यक्रम में एक विषय के रूप में सम्मिलित किया जायेगा।
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