शहर में बसा एक ‘अंदरूनी’ गांव, लोगों के संग बस्ती भी बूढ़ी हो गई ! बिजली, पानी, स्कूल और सड़क कुछ भी नहीं
पंकज दाउद @ बीजापुर। यूं तो कन्हईगुड़ा नगरपालिका के एक वार्ड का हिस्सा है लेकिन जब यहां किसी के कदम पड़ेंगे तो ये कहीं से भी शहरी शक्ल में नहीं दिखेगा।
सरकारी बेरूखी ने इस गांव को बूढ़ा बना दिया है और यहां रहने वाले ज्यादातर लोग बूढ़े ही हैं क्योंकि नई पीढ़ी जिला मुख्यालय के जयनगर कैम्प में बस गई है।
नैशनल हाईवे से इस बस्ती की दूरी कोई 6 किमी है। नई पुलिस लाइन के सामने से इसके लिए कुछ दूर तक तो सीसी सड़क है लेकिन उसके बाद मुरूम डाली गई सड़क का हाल काफी बुरा है।
गांव के लोग बताते हैं कि इसे दो साल पहले अधूरा छोड़ दिया गया। आने वाले दिनों में सड़क खराब होने का अंदेशा लोगों को है क्योंकि बारिश में मिट्टी के बह जाने का खतरा है।
गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि सलवा जुड़ूम से पहले गांव आबाद था। गांव में आदिवासी और तेलंगा परिवार मिल जुलकर रहते थे। कोई भी तीज त्यौहार का आनंद ही अलग था।
गांव में दो ही जातियां बस्ती हैं, पहली तो ढोलिया और दूसरी तेलंगा पुजारी। दूसरी भी बस्तियां हैं, यहां महार, रायगढ़िया, हल्बा आदि लोग बसते हैं।
अब इस गांव में ज्यादातर लोग बूढ़े ही हैं क्योंकि युवा पीढ़ी सलवा जुड़म चालू होने के बाद से जयनगर राहत शिविर में बस गई। अपना खेत छोड़कर वे किसी दुकान में काम करते हैं या फिर खुद का छोटा-मोटा व्यापार कर लेते हैं।
महुआ और तेंदूपत्ता सीजन में जयनगर से युवा लोग आते हैं और तेंदूपत्ता तोड़ते हैं। बस्ती में ही तेन्दूपत्ता का फड़ भी है। पड़ियारपारा के लोग भी पत्ता यहीं बेचते हैं।
बस्ती में करीब 150 घर हैं और किसी के पास बिजली कनेक्शन नहीं है। पानी के लिए दो नलकूप हैं लेकिन पानी लेने लोगों को अपने घरों से दूर जाना पड़ता है। यहां तालाब नहीं है। हां, एक डबरी है जो गर्मी में सूख जाती है।
यहां नर्स तो कभी आती ही नहीं है और मितानिन की नियुक्ति नहीं है। कोई बीमार पड़ता है तो उसे जिला हाॅस्पिटल ले जाते हैं या प्राइवेट क्लिनिक में ले जाते हैं।
सलवा जुड़म के दौरान नक्सलियों ने स्कूल भवन को तब तोड़ दिया, जब इसके बनने में एक सप्ताह का समय बचा था। अभी स्कूल का संचालन नहीं होता है। यहां आंगनबाड़ी भी नहीं है। पहले यहां भाजपा की पार्षद अनिता पुजारी थीं। अभी भाजपा के ही घासीराम नाग हैं।
दहशत पसरी, तो बस्ती छोड़ी
सलवा जुड़ूम के दौरान बस्ती की हालत बहुत बुरी हो गई। एक बुजूर्ग कंडिक किस्टैया बताते हैं कि पड़ियारपारा में नक्सलियों ने जुड़ूम के दौरान आठ लोगों को पकड़ा और इनमें से चार लोगों की हत्या कर दी। इसके बाद कन्हईगुड़ा से युवा जयनगर जाने लगे।
इसके बाद भी नक्सलियों ने हत्याएं कीं। धुरवा मोरैया बताते हैं कि पुलिस की गश्त आज भी इस क्षेत्र में होती है। सुबह या रात कभी भी जवान कन्हईगुड़ा से गुजरते हैं।
कुछ नहीं हुआ – बेनहूर
पालिका अध्यक्ष बेनहूर रावतिया का आरोप है कि पहले भाजपा के अध्यक्ष थे। तब इस इलाके की ओर ध्यान नहीं दिया गया। रावतिया कहते हैं कि वे इस वार्ड पर विशेष ध्यान दे रहे हैं।
इस बारे में उन्होंने मौजूदा कलेक्टर राजेन्द्र कटारा से चर्चा की थी। उन्होंने एस्टीमेट बनाकर देने कहा था। एस्टीमेट बनाकर दे दिया गया है लेकिन अब तक इसे मंजूरी नहीं मिली है।
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