हथियार की धार पर टिकी है हरे सोने की कमाई ! मण्डावी बोले, ‘‘ कीमती दिनों का सालभर इंतजार रहता है आदिवासियों को ’’
पंकज दाऊद @ बीजापुर। हरे सोने यानि तेन्दूपत्ते की फसल पर बूटा कटाई के दौरान हथियार के धार और सही वक्त बहुत अहम हैं और इसी बात को लेकर बस्तर क्षेत्र विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष एवं स्थानीय विधायक विक्रम शाह मण्डावी कहते हैं कि आदिवासियों के अलावा बाकि लोगों को भी ष्षाखकर्तन से लेकर इसके संग्रहण तक का इंतजार रहता है।
यहां वनोपज सहकारी संघ एवं वन व पर्यावरण विभाग की ओर से शाखकर्तन एवं अग्नि सुरक्षा पर एक दिनी कार्यशाला का आयोजन तेन्दूहॉल में किया गया। इस मौके पर मुख्य अतिथि की आसंदी से विधायक विक्रम मण्डावी ने कहा कि दस से पंदह दिनों के तेन्दूपत्ता सीजन में आदिवासियों को बड़ी राशि मिलती है।
इससे ना केवल संग्राहक जुड़े हैं बल्कि ठेकेदार, ट्रक-ट्रैक्टर व बैलगाड़ी के मालिकों के अलावा मजदूर भी जुड़े होते हैं। इस वजह से वे सालभर इस सीजन का इंतजार करते हैं। तेन्दूपत्ता यहां के निवासियों के वरदान से कम नहीं है।
इसी बात पर उन्होंने एक वाक्या सुनाते कहा कि कुछ दिन पहले इंद्रावती पार अबूझमाड़ से कुछ आदिवासी उनसे मिलने आए थे और वे अपने गांव में भी तेन्दूपत्ता फड़ खोलने की मांग कर रहे थे। तब विधायक ने उन्हें बताया कि उनका गांव नारायणपुर जिले में आता है और वे वहां संपर्क कर सकते हैं। हरे सोने की कीमत अंदरूनी गांवों के लोग भी समझ गए हैं। विषम परिस्थिति में विभाग का मैदानी अमला काम करता है और ये तारीफ के काबिल है।
विधायक ने कहा कि सीएम भूपेश बघेल की सोच साफ और आदिवासी हित की है। उनका बस्तर के लोगों से लगाव है। वनोपज का समर्थन मूल्य बढ़ाकर निर्धारित किया गया है।
विक्रम मण्डावी ने सुझाव दिया कि फड़ जल्दी खोले जाने चाहिए और इसके पहले सर्वे किया जाना चाहिए। इस मौके पर वनोपज सहकारी संघ के प्रबंध संचालक एवं डीएफओ अशोक पटेल ने बूटा कटाई की तकनीकी जानकारी के साथ बताया कि जिले में 28 प्राथमिक लघु वनोपज समितियां और 45 लॉट हैं। ये अच्छी बात है कि सभी लॉट बिक चुके हैं।
पूरे राज्य में सर्वाधिक तेन्दूपत्ता बीजापुर जिले में होता है। इस साल 80500 मानक बोरे के संग्रहण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। सभी का सहयोग मिलेगा, तो एक लाख मानक बोरे का संग्रहण हो पाएगा। डीएफओ अशोक पटेल ने बताया कि पिछले साल बारिश के चलते ज्यादा उपज नहीं हो पाई थी। उन्होंने कहा कि बूटा कटाई और तोड़ाई सही समय पर हो तो उत्पादन बढ़ता है।
सर्व आदिवासी समाज के अध्यक्ष अशोक तलाण्डी ने इस तरह की कार्यशाला का आयोजन पंचायत स्तर पर भी करवाने पर जोर देते कहा कि ऐसा करने पर संग्राहकों को जानकारी मिल पाएगी। उन्होंने कहा कि तेंदूपत्ता संग्राहकों के लिए विभाग ने मुआवजे का प्रावधान रखा है और इसकी जानकारी कम लोगों को है।
नैमेड़ सहकारी समिति के प्रबंधक परमानंद सोनवानी ने बताया कि ष्षाख कर्तन के वक्त तेज धारदार हथियार से कटाई होगी तो फसल अच्छी आएगी। कार्यक्रम का संचालन षिक्षक पुरूषोत्तम चंद्रकार ने किया।
इस अवसर पर एसडीओ नरसिंह नायडू, प्रकाश नेताम, रेंजर कोटेश्वर राव चापड़ी, मनोज बघेल, सच्चिदानंद यादव, दीनानाथ गोसाई एवं अन्य अधिकारी कर्मचारी मौजूद थे।
आग में भी बीजापुर अव्वल- शाहीद
सीसीएफ मो शाहीद ने कहा कि तेन्दूपत्ता हो या दीगर वनोपज व जड़ी-बूटी, बीजापुर पूरे प्रांत में अव्वल है। यह जिला जंगलो में आग लगने में भी नंबर वन है। दिन में चार बार आग के मैसेज आते हैं। इससे पता चलता है कि आग बीजापुर में आग ज्यादा लगती है।
मो शाहीद ने कहा कि हर घर से कम से कम एक व्यक्ति को बूटा कटाई के लिए निकलना चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि संग्राहकों और ठेकेदारों की बैठक होनी चाहिए और एक ही समय में समूचे वन मण्डल में बूटा कटाई और तोड़ाई होना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस सीजन में लक्ष्य पर जाकर नहीं रूकना है बल्कि इससे आगे बढ़ना है।
पत्ते से खाद बनेगी, आग नहीं लगाएं- कटारा
कलेक्टर राजेन्द्र कटारा ने जंगल में आग पर अपनी चिंता जाहिर करते कहा कि महुआ पेड़ के नीचे पत्तों में आग लगा दी जाती है। आग लगाने की बजाए, इसे एकत्र करना चाहिए। इससे अच्छी आर्गेनिक खाद बनेगी।
उन्होंने महुआ की क्वालिटी कायम रखने के लिए संग्रहण के दौरान नेट के इस्तेमाल पर बल देते कहा कि इससे मानक स्तर का महुआ मिलेगा। जमीन में गिर जाने पर इसकी क्वालिटी खराब हो जाती है। महुए के कई उपयोग हैं। इसका भी मूल्य तय किया गया है।
इस मौके पर जिला पंचायत के सीईओ रवि साहू ने अग्नि सुरक्षा को रेखांकित करते कहा कि हमें जंगल का आग से बचाना चाहिए। इसमें सभी की जवाबदेही है।
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