हट गई नए महुए से शराब बनाने की पाबंदी ! देवता को अर्पण करने के बाद ही डिस्टीलेशन

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हट गई नए महुए से शराब बनाने की पाबंदी ! देवता को अर्पण करने के बाद ही डिस्टीलेशन

पंकज दाऊद @ बीजापुर। इस जिले में आदिवासियों में आम तोड़ने और नए महुए से शराब बनाने के कायदे तय हैं। देवता को शराब का तर्पण करने के बाद ही नए महुए से शराब बनाने और आम तोड़ने की परंपरा है। यहां शनिवार को पूजा के बाद ही आम तोड़े जाने की इजाजत दी गई।

– कोरोना के चलते गांव के सिर्फ बुजूर्ग ही आए

गंगालूर गांव के निवासी पूर्व जनपद सदस्य नरेन्द्र हेमला ने बताया कि शनिवार को गांव में बैठक हुई। यहां बलि के लिए एक सूअर और एक मुर्गी लाई गई। सूअर और मुर्गी को चावल दिया जाता है। जब चावल सूअर खा लेता है तो ही इसकी बलि दी जाती है अन्यथा नहीं।

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ऐसा माना जाता है कि सूअर यदि चावल नहीं खाता है तो इसका मतलब ग्राम्य देवता नंगा भीमा देव की नाराजगी है। चावल खाने पर ही सूअर की बलि दी जाती है। एक अण्डे को जमीन में गाड़ा जाता है।

– देवता नंगा भीमा देव की पूजा करते लोग

 

पूजा स्थल पर ही एक देसी अण्डे को उछाला जाता है। यदि अण्डा फूट गया तो ये समझा जाता है कि इस साल अच्छी बारिश होगी और नहीं फूटता है तो ये माना जाता है कि इस बरस बारिश कम होगी।

इसके बाद नए महुए को भूना जाता है और इसे देवता को अर्पित किया जाता है। इसके बाद आम को काटा जाता है और इसे प्रसाद के तौर पर हर घर में भेजा जाता है। इस दिन से पेड़ों से आम तोड़ने की इजाजत सब को मिल जाती है।

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नरेन्द्र हेमला ने बताया कि नए महुए से अब शराब बनाई जा सकती है। पहले तो नए महुए को बेचा भी नहीं जाता था लेकिन इन दिनों लोग पूजा के पहले ही महुआ बेच रहे हैं।

गंगालूर के माटी पुजारी लखमू हेमला हैं। इस रस्म के पहले एक और रस्म होती है, बकरे की बलि। मंगलवार को मिंगाचल नदी किनारे बकरे की बलि दी गई और भोज भी हुआ। लोग यहां सल्फी, ताड़ी और शराब पीते हैं।

ये देहात है, यहां ‘ देहाती ’ नहीं

भले ही गंगालूर देहात है लेकिन यहां ‘देहाती’ नहीं बसते हैं। गंगालूर पंचायत में बाइस गांव आते हैं। सूअर और मुर्गी की बलि के अलावा यहां होने वाली हर रस्म में हर साल पूरे गांव के लोग जुटते हैं लेकिन इस साल ऐसा नहीं हुआ। सबब था कोरोना।

माटी पुजारी लखमू हेमला एवं कोटवार सेमल सुकलू बताते हैं कि सोषल डिस्टेंसिंग को ध्यान में रख इस पूजा विधान में हर पंचायत केे हर गांव से एक या दो बुजूर्ग को बुलाया गया है ताकि भीड़भाड़ ना हो।

– लखमू हेमला पुजारी

हेमला परिवार करता है पूजा विधान

इस गांव में नंगाभीमा देव की पूजा की रस्म हेमला परिवार ही करता है और इसमें मुख्य रूप पूनेम, कुड़ियम, भोगाम एवं पोटाम उपनाम वाले मौजूद रहते हैं। माटी पुजारी लखमू कहते हैं कि इस पूजा में कोई भी भाग ले सकता है क्योंक नंगाभीमा देव पूरे गांव के देवता हैं। इस वजह से सभी लोग यहां आते हैं।

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