पुलिस कैम्प के विरोध में लामबंद ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन, जवानों पर लगाया मारपीट का आरोप… SP बोले- डरने की जरूरत नहीं, विकास और सुरक्षा के लिए खोला गया कैम्प
के. शंकर @ सुकमा। दक्षिण बस्तर के सुकमा व दंतेवाड़ा जिले के सरहदी क्षेत्र में पुलिस कैम्प की स्थापना को लेकर विरोध के स्वर मुखर होने लगे हैं। कैम्प स्थापना के विरोध में ग्रामीणों ने विरोध प्रदर्शन करते हुए सुरक्षा बल के जवानों पर मारपीट करने का आरोप भी लगाया है।
बता दें कि जगरगुंडा इलाके के कर्रेपारा गांव में 20 नवम्बर को पुलिस द्वारा सुरक्षाबलों के लिए नया कैम्प स्थापित किया गया है। जिसके विरोध में बयनपल्ली, वेडमा, उरसंगल, परलागट्टा, कोंडासावली समेत आसपास के आधा दर्जन से ज्यादा गांव के ग्रामीण सैकड़ों की संख्या में जमा हुए और नारेबाजी करते हुए विरोध प्रकट किया।
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ग्रामीणों की मांग है कि क्षेत्र में स्कूल चाहिए, अस्पताल चाहिए, पानी, बिजली चाहिए, लेकिन सुरक्षाबलों का कैम्प नहीं खुलना चाहिए। कैम्प को हटाने के विरोध में बीते दो दिनों से लगातार ग्रामीण बड़ी संख्या में एकत्रित हैं और कैम्प के सामने धरना देकर विरोध जताया जा रहा है।
मारपीट का भी आरोप
वहीं ग्रामीणों का आरोप है कि सुरक्षाबलों द्वारा बीते दो दिनों में करीब 65 ग्रामीणों के साथ मारपीट की गई है। इसके विरोध में ग्रामीण इस इलाके में एकजुट होकर अपना विरोध जता रहे हैं। गांव वालों का कहना है जब तक कैम्प नहीं हटेगा तब तक उनका यह विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा।
ग्रामीणों का यह भी आरोप है कि हमारी निजी भूमि पर सुरक्षाबलों द्वारा पुलिस कैम्प स्थापित किया है और उनके साथ मारपीट की जा रही है। ग्रामीणों का कहना है कि आदिवासी ग्रामीण जंगल पर निर्भर रहते हैं। सामाजिक रीति रिवाज, शिकार या फिर पूजा पाठ के लिए भी ये जंगल में आना जाना करते हैं।
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ऐसे में इन्हें डर है कि पुलिस जवानों ने इन्हें अगर जंगल में देखा तो मार देंगे या फिर फर्जी नक्सली केस में जेल भेज देंगे। इसी डर के चलते सैकडों ग्रामीण कैम्प के विरोध में लामबंद हुए हैं और गांव से कैम्प को हटाने की मांग पर डटे हैं।
नक्सलियों के दबाव में हो रहा विरोध
इधर, इस मामले पर दंतेवाड़ा एसपी अभिषेक पल्लव का कहना है कि नक्सलियों के दबाव में आकर ग्रामीण कैम्प स्थापना का विरोध कर रहे हैं। हमारी कोशिश है कि ग्रामीणों के साथ बेहतर तालमेल के साथ इलाके में विकास कार्य हों और जल्द जगरगुंडा तक सड़क निर्माण कार्य पूर्ण कर लिया जाए।
एसपी के मुताबिक, कैम्प खुलने से ग्रामीणों को घबराने की जरूरत नहीं है। किसी भी ग्रामीण के साथ मारपीट नहीं होगी और लोगों को कैम्प लगने से शासन के जनकल्याणकारी योजनाओं का पूरा फायदा मिलेगा। इस इलाके में विकास कार्य होंगे। सड़क बनने के बाद गांव में ही लोगों को राशन मिलने लगेगा। उन्हें अब पैदल सफर तय कर राशन लेने जाना नहीं पड़ेगा।
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— Khabar Bastar (@khabarbastar) November 19, 2020
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