माओवादियों ने ऑनलाइन शिक्षा नीति का किया विरोध … पर्चे फेंके और कहा, 45 फीसदी बजट एजुकेेशन का हो
पंकज दाऊद @ बीजापुर। नक्सलियों ने यहां से 40 किमी दूर फरसेगढ़ में शनिवार की सुबह पर्चे फेंककर ऑनलाइन शिक्षा नीति पर सवाल खड़े किए और षिक्षा पर 45 फीसदी बजट खर्च करने की मांग रखी।
सूत्रों के मुताबिक फरसेगढ़ के विभिन्न स्थानों पर सुबह ही ऐसे पर्चे देखे गए। ये पर्च नक्सलियों की पश्चिम बस्तर डिविजन कमेटी की ओर से जारी किए गए हैं।
माओवादियों ने बुद्धिजीवियों, शिक्षकों, छात्रों, अनुदेशकों एवं मितानिनों से अपील करते इस पर्चे में कहा है कि सरकार स्कूलों में प्रोजेक्टर का सहारा लेकर पढ़ाई करवा रही है। इससे बच्चों की तर्कशक्ति कमजोर हो रही है।
नक्सलियों ने शिक्षा के निजीकरण का विरोध करते कहा है कि 10 करोड़ नौकरी छीन ली गई है और एक लाख से अधिक स्कूलों को बंद किया गया है। प्राइवेट स्कूलों को खुली छूट देकर पूंजीपतियों को मालामाल करने में सरकार कायम है। युक्तियुक्तकरण के नाम पर कई स्कूलों को बंद किया गया है।
नक्सलियों ने पोटा केबिन में बच्चों को मांस मछली एवं अन्य पौष्टिक आहार देने की मांग करते कहा है कि कोरोना वायरस के चलते लाॅक डाॅउन में छोटे व्यापारियों, खेतीहार मजदूरों और गरीबों की माली हालत खराब हो गई। दो लाख लोग मारे गए।
इस ओर सरकार ध्यान नहीं दे रही है और किसी नेता के पास इसका सही आंकड़ा नहीं है। बड़े पूंजीपतियों की सेवा के लिए कानून बनाए जा रहे हैं। नक्सलियों ने नई षिक्षा नीति के नाम से लागू ऑनलाइन शिक्षा को बंद करने की मांग भी की है।
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