एस्सार-नक्सली फंडिंग मामले में सोनी सोढ़ी समेत 4 आरोपी दोषमुक्त… NIA कोर्ट का 11 साल बाद आया फैसला, 15 लाख रुपए लौटाने का भी आदेश
दंतेवाड़ा/रायपुर @ खबर बस्तर। एस्सार कंपनी और माओवादियों के बीच पैसे की कथित लेन-देन के मामले में NIA की विशेष अदालत ने करीब 10 साल बाद फैसला सुनाया है। एनआईए ने इस मामले में सोनी सोढ़ी समेत 4 आरोपियों को दोषमुक्त करार दिया है।
NIA की विशेष अदालत ने सोमवार को अपना फैसला सुनाया। विशेष न्यायाधीश विनोद कुमार देवांगन, NIA एक्ट/अनुसूचित अपराध ने अपना फैसला सुनाते हुए पुलिस द्वारा जब्त बताई गई 15 लाख रुपए राशि को ठेकेदार बीके लाला को लौटाने का भी आदेश दिया है।
आपको बता दें कि सितंबर 2011 में एस्सार कंपनी द्वारा नक्सलियों को पैसा पहुंचाने के आरोप में दंतेवाड़ा पुलिस ने सोनी सोढ़ी समेत उनके भतीजे लिंगाराम कोड़ोपी, ठेकेदार बीके लाला और एस्सार महाप्रबंधक डीवीसीएस वर्मा को आरोपी बनाया था।
इस हाई प्रोफाईल मामले में पुलिस आरोपियों के खिलाफ कोई ठोस सबूत पेश नहीं कर सकी, जिसके बाद एनआईए कोर्ट ने सभी को दोषमुक्त कर दिया है। चारों आरोपियों को पहले ही जमानत मिल गई थी लेकिन वो दोषमुक्त नहीं हुए थे।
क्या था पूरा मामला
सितंबर 2011 को दंतेवाड़ा पुलिस ने एस्सार-नक्सली फंडिंग मामले का खुलासा किया था। पुलिस का आरोप था कि किरंदुल स्थित एस्सार कंपनी के तत्कालीन जीएम डीवीसीएस वर्मा ने ठेकेदार बीके लाला को 15 लाख रुपए नक्सलियों तक पहुंचाने के लिए दिए थे। जिसके बाद ठेकेदार बीके लाला अपने वाहन में सवार होकर पालनार बाजार पहुंचा।
पुलिस के मुताबिक, ठेकेदार बीके लाला लिंगाराम कोड़ोपी एवं सोनी सोढ़ी के माध्यम से नक्सलियों को 15 लाख रुपए देने पालनार साप्ताहिक बाजार के पास पहुंचा था। उसी समय पुलिस मौके पर पहुंची और बीके लाला और लिंगाराम को पकड़ लिया। इस बीच बाजार की भीड़ का फायदा उठाकर सोनी सोरी फरार हो गई।
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