छत्तीसगढ़ में हनी ट्रैप की आंच
पड़ोसी राज्य से शुरू हुए हनी ट्रैप काण्ड की आंच छत्तीसगढ़ तक भी पहुंच चुकी है। इसे लेकर सूबे में सियासत गर्म है और एक प्रमुख दल के नेताओं के साथ ही अफसरों पर भी उंगलियां उठनी शुरू हो गई है। इस मसले को लेकर राजधानी से लेकर बस्तर में भी हलचल देखी जा रही है। कहा जा रहा है कि इसकी कड़ी जुड़ते-जुड़ते बस्तर को भी आगोश में ले सकती है। यहां के एक बड़े नेता के हनी ट्रैप के जाल में फंसने को लेकर अटकलें तेज हैं। परत दर परत खुल रहे हनी ट्रैप के मामलों में इनका नाम शामिल होने का दावा भी किया जा रहा है। ऐसे में इनके इर्द गिर्द रहने वाले लोग अपना बैकग्राउंड खंगाल रहे हैं। वैसे, कहा तो यह भी जा रहा है कि बस्तर से इनके अलावा एक नाम और भी है। सूत्रों का दावा है कि अगर इस मामले की गहराई से पड़ताल हुई तो कई नामचीन चेहरे दागदार हो सकते हैं। बहरहाल, जब तक इस मामले का पूरी तरह पटाक्षेप नहीं होता है, तब तक यह मुद्दा कईयों की रातों की नींदें उड़ाता रहेगा।
पिटे मोहरों से कैसे पार लगेगी नैया
दिवंगत विधायक भीमा मण्डावी की शहादत के बावजूद दंतेवाड़ा उपचुनाव में भाजपा अपनी यह सीट बड़े अंतर से गंवा बैठी। इस करारी शिकस्त के बाद भी पार्टी ने कोई सबक लिया हो, ऐसा लगता नहीं है। दरअसल, बीजेपी चित्रकोट उपचुनाव में भी वही गलती दोहराती दिख रही है, जो उसे दंतेवाड़ा में ले डूबी थी। पार्टी ने यहां उपचुनाव की कमान ऐसे हाथों मे दे दी थी, जो खुद अपनी हार के सदमे से अभी तक नहीं उबरे हैं। ऐसे नेताओं ने चुनाव प्रचार में भी पूरी ताकत नही झोंकी। बस केवल खानापूर्ति करते नजर आए। रही सही कसर ट्रेलर बाज नेताओं ने पूरी कर दी। अब चित्रकोट में भी पार्टी ने कोई नया चेहरा ढूंढने के बजाय घूम फिर कर उसी प्रत्याशी पर दांव लगाया जो पिछली दफे पराजय का मुंह देख चुका है। यहां भी चुनाव जिताने की जिम्मेदारी उन्ही पिटे मोहरों के कंधों पर ही होगी जो जनता और कार्यकर्ताओं से दूर जा चुके हैं। ऐसे में कोई चमत्कार ही भाजपा की नैया पार लगा सकता है।
कांग्रेस का ‘मिशन क्लीन स्वीप’
दंतेवाड़ा उपचुनाव में मिली जीत से उत्साहित कांग्रेस को ‘भाजपा मुक्त बस्तर’ का सपना साकार होता दिख रहा है। चित्रकोट सीट जीतकर पार्टी के पास बस्तर की सभी 12 सीटों पर ‘क्लीन स्वीप’ करने का मौका है, लेकिन इसमें भी अभी पेंच है। दरअसल, नामांकन से पहले कांग्रेस में आपसी खींचतान चरम पर थी। टिकट नहीं मिलने से नाराज बलराम मौर्य ने बागी तेवर दिखाकर सभी को चौंका दिया। हालांकि, आखिरी वक्त पर सीएम की दख़ल के बाद उन्हें मना लिया गया। बता दें कि बलराम काफी समय से इलाके में सक्रिय हैं। चुनाव लड़ने को लेकर उन पर समर्थकों का जबरदस्त दबाव था। ऐसे में आगे उनका क्या रुख रहता है, यह देखने वाली बात है। इधर, राजमन बेंजाम के नाम का ऐलान होने से पहले उनके खिलाफ पार्टी के लोग ही सोशल मीडिया में माहौल बनाते रहे। वीडियो भी जमकर शेयर किए गए। आखिरकार कांग्रेस आलाकमान ने राजमन पर भरोसा जरूर जताया है लेकिन सबसे बड़ी चुनौती पार्टी के अंदरखाने चल रही खींचतान पर काबू पाने की है। समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो कांग्रेस के अरमानों को झटका लग सकता है।
बेचारी विपक्ष क्या करे
हाल ही में संपन्न दंतेवाड़ा उपचुनाव को देखकर ऐसा ही लगता है कि विपक्ष तो बेचारी ही है। दरअसल, हम ऐसा इसलिए कह रहे है कि इस उपचुनाव में विपक्ष के नेताओं को दौरा करने के लिए खाकी वर्दी के आदेश की जरूरत होती थी। खाकी वर्दीधारियों के आदेश के बाद ही नेता एक जगह से दूसरे जगह तक आना जाना कर पा रहे थे। आदेश नहीं मिलने पर हो हल्ला मचाकर मन मसोस कर रह जाते। 15 साल तक सत्ता का सुख भोगने और अपने इशारे पर खाकी को नचाने वाले विपक्ष के नेताओं को इस चुनाव में हार के साथ ही खाकी की ताकत का भी अंदाजा लग ही गया।
बाघ की दहाड़ नहीं, साहब की भर रही जेब !
बीजापुर का इंद्रावती टाइगर रिजर्व यहां पदस्थ अफसरों के लिए सोने की खान साबित हो रहा है। इस नेशनल पार्क में बाघों की मौजूदगी के बिना ही अफसर कागजों में काला-पीला कर रहे हैं। यहां पर्यटक स्थल व बाघों के नाम पर अफसर सिर्फ बजट को ठिकाने लगाने का काम कर रहे हैं। यह पूरा खेल पिछली सरकार में बड़े पैमाने पर किया गया। नई सरकार आई तो यहां जमे एक बड़े अफसर को विदा कर दिया गया पर वे जाने को तैयार नहीं थे। बगैर चार्ज दिए ही साहब भूमिगत हो गए। ऐसे में नए साहब को एकतरफा चार्ज लेना पड़ा। हद तो तब हो गई जब पर्यटकों को तरस रहे टाइगर रिजर्व एरिया में कई जगहों पर स्वागत द्वार बना दिया गया। इसमें जमकर गड़बड़ी हुई। एक जगह तो अधूरा गेट बनाकर पैसा निकाल लिया गया। यहां अभी भी अधूरा पड़ा स्वागत द्वार दुर्घटना को आमंत्रण दे रहा है। बता दें कि सालों से इलाके में किसी ने बाघ की दहाड़ नहीं सुनी है। लोग बस स्वागत गेट में इसकी तस्वीर देख तसल्ली कर रहे हैं।
@ वेदप्रकाश संगम » महफूज़ अहमद » मो. इमरान खान
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