सिर पर गोली लगी पर अंतिम सांस तक नक्सलियों से लड़ता रहा नारायण… चाचा और भाई समेत पूरे कुनबे ने छेड़ रखी है माओवाद के खिलाफ जंग
पंकज दाउद @ बीजापुर। एक कुनबे ने 16 बरस से बस्तर के अलावा महाराष्ट्र और तेलंगाना के सीमाई इलाकों में नक्सलियों के खिलाफ जंग छेड़ रखी है। इस गुमनाम कुनबे में एक फाइटर नारायण सो़ड़ी भी था जो 3 अप्रैल को तर्रेम में जांबाजी का परिचय देते देश के लिए कुर्बान हो गया।

वो खूनी साल चल रहा था, उसूर ब्लाॅक में 2005 में सलवा जुड़म चालू हो गया था। उसूर ब्लाॅक के आवापल्ली थाना क्षेत्र के पुन्नूर गांव में सोड़ी परिवार पर कहर टूटा। नक्सलियों ने इस परिवार को गांव खाली करने का फरमान सुना दिया था।
परिवार ने अपना 50 एकड़ का खेत और घर छोड़ दिया। वे आवापल्ली, बीजापुर एवं अन्य स्थानों की ओर जाकर बस गए। इनमें नारायण सोड़ी (38) भी एक था। उसके तीन और भाई भी फोर्स में हैं।

नारायण के छोटे भाई गणपत डीएफ, गोपाल सीएएफ और अर्जुन भी डीआरजी में हैं। यही नहीं उनके चाचा दुला सोड़ी के बेटे गज्जू सोड़ी आरक्षक एवं पुष्पेन्द्र सोड़ी डीआरजी में हैं। अभी पुष्पेन्द्र कोर्स करने गए हैं।
इन लड़ाकों का कुनबा यहीं खत्म नहीं होता। चाचा समैया सोड़ी सीएएफ में हैं। एक और चाचा अर्जुन सोड़ी डीआरजी में हैं। वहीं चाचा रमेश सोड़ी सहायक आरक्षक हैं।
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नारायण के भाई अर्जुन सोड़ी घटना वाले दिन बेदरे से आगे नए कैम्प में थे। समाचार मिलने पर वे लौट कर आए। नारायण के भाई बताते हैं कि अंतिम मुठभेड़ में भी उन्होंने अंतिम सांस तक लड़ाई लड़ी। उनके सिर में एक गोली लगी थी। फिर भी वे नक्सलियों से लड़ते रहे और देश के लिए अपनी कुर्बानी दी।
कई नक्सलियों को ढेर कर चुका था नारायण
नारायण सोड़ी की बहादूरी के किस्से बहुत हैं। वे बीसियों मुठभेडों में हिस्सा ले चुके हैं। 2005 में वे सहायक आरक्षक के तौर पर भर्ती हुए थे और फिर प्रमोशन पाकर प्रधान आरक्षक बने। इसके बाद कई ऐसे मौके आए जब उन्होंने नक्सलियों का मुकाबला किया।
बोरगा भैरमगढ़, नीलामड़गू, महाराष्ट्र सीमा, गंगालूर, मारूड़वाका, आउटपल्ली, आकाशनगर समेत कई स्थानों पर हुई मुठभेड़ों में उन्होंने नक्सलियों को लोहे चना चबवा डाले। इस दौरान उन्होंने कई नक्सलियों को मार गिराया।
अंतिम संस्कार बीजापुर में
नई पुलिस लाइन में श्रद्धांजलि देने के बाद नारायण का अंतिम संस्कार जिला मुख्यालय में शांतिनगर में किया गया गया। वे चट्टानपारा शांतिनगर में ही रहते थे। वे अपने पीछे पत्नी, तीन पुत्रियां एवं एक पुत्र छोड़ गए।
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नारायण की पत्नी सुशीला सोड़ी गृहिणी है। बड़ी बेटी शुक्रिया सोड़ी दंतेवाड़ा में बीएससी द्वितीय वर्ष की छात्रा है जबकि पुत्र शिवाजी आठवीं तक पढ़ा है। बेटी संजना नवीं में पढ़ रही है। छोटी बेटी साहनी सोड़ी अभी पांचवी में है।
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