लकड़ी तस्करी के आरोपी के सुपुर्द है पूरा जंगल..! दंतेवाड़ा वन महकमे ने पकड़ा था सागौन फर्नीचर, डिप्टी रेंजर के नाम से कटा है बिल
पंकज दाऊद @ बीजापुर। यहां के एक फर्नीचर मार्ट से तथाकथित तौर पर खरीदे गए फर्नीचर को संदेह के आधार पर हफ्तेभर पहले जगदलपुर ले जाते वक्त पिकअप के साथ दंतेवाड़ा के वन महकमे ने पकड़ा। फर्नीचर की रसीद दुकानदार ने पासेवाड़ा के प्रभारी रेंजर के नाम से काटी है।
सूत्रों के मुताबिक जिला मुख्यालय के संजीव बाला फर्नीचर मार्ट ने सागौन के 4 चौखट, खिड़की के 7 पल्ले, एक ड्रेसिंग टेबल, कुर्सी टेबल सहित एक डायनिंग सेट एवं एक दीवान को पिकअप से बड़ईगुड़ा जगदलपुर ले जाया जा रहा था। इसकी कीमत एक लाख 67 हजार रूपए अंकित है।
दंतेवाड़ा के वन विभाग के कर्मचारियों ने फरसपाल रोड पर सप्ताह भर पहले इस पिकअप को पकड़ा। बताया गया है कि पिकअप के ड्राइवर ने जो कागजात दिखाए वे पूरी तरह संदेहास्पद थे। वाहन में ज्यादा लकड़ी पाई गई।
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बताया गया है कि बीजापुर रेंज से जगदलपुर ले जाने के लिए ट्रांसिट परमिट कमल कश्यप के नाम से जारी किया गया था लेकिन ज्यादा लकड़ी ले जाने की दशा में टीपी जारी करने वाले की जिम्मेदारी नहीं होती है।
सबसे आश्चर्यजनक बात तो ये है कि जब जगदलपुर के लिए टीपी काटी गई थी तो फिर फरसपाल के रास्ते फर्नीचर ले जाने की जरूरत क्यों पड़ी। रसीद में जीएसटी का भी जिक्र नहीं है।
निलंबन के बाद मिला चार्ज
बता दें कि पासेवाड़ा के प्रभारी रेंजर पहले इंद्रावती टाइगर रिजर्व के मद्देड़ बफर में भी रह चुके हैं और मई 2017 में अवैध कटाई के एक प्रकरण में तत्कालीन प्रभारी रेंजर और कमल कश्यप को निलंबित किया गया था।
निलंबन से बहाली के लिए भी अफसरों से मिलीभगत हुई और फिर कुछ ही महीने में उनकी सेवा बहाल हो गई। इसके बाद उनकी पदस्थापना पासेवाड़ा रेंज में हुई। रेंजर के रिटायर होने के बाद उन्हें फरवरी 2020 में पासेवाड़ा रेंज का प्रभार मिला।
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ऐसी भी संभावना जताई जा रही है कि पहले भी वे लकड़ी इसी तरह जगदलपुर ले गए हैं। अंदेशा है कि लकड़ी पासेवाड़ा रेंज से भी काटी गई हो?
जोड़तोड़ से मिला प्रभार
इंद्रावती टाइगर रिजर्व के पासेवाड़ा रेंज का प्रभार कमल कश्यप को राज्य स्तर के आदेश से नहीं बल्कि स्थानीय जुगाड़ से मिला है। इसमें कुछ अफसरों की संलिप्तता साफ दिखाई दे रही है। प्रभार के जुगाड़ में लेनदेन की बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता है।
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