पण्डाल से कोरोना फैलने पर समिति उठाएगी मरीज का पूरा खर्च… मूर्ति स्थल को लेकर गाइडलाइन जारी, 4 CCTV लगाना अनिवार्य
पंकज दाऊद @ बीजापुर। नवरात्र पर मूर्ति स्थापना स्थल से कोरोना फैलने की दशा में आयोजन समिति को मरीज का पूरा खर्च उठाना पड़ेगा। मण्डप और इसके आसपास 20 से अधिक श्रद्धालु एकत्र नहीं हो सकेंगे।
कलेक्टर रिेतेश अग्रवाल ने इस आशय की एक गाइडलाइन जारी की है। गाइडलाइन में साफ कहा गया है कि मूर्ति स्थापित करने वाला व्यक्ति या समिति श्रद्धालुओं का नाम एवं मोबाइल नंबर रजिस्टर में लिखेगी, ताकि उनमें से कोई भी व्यक्ति कोरोना संक्रमित होने पर कांटेक्ट ट्रेसिंग की जा सके।
दुर्गा पण्डाल में कांन्टेक्ट ट्रेसिंग के लिए 4 सीसीटीवी लगाने भी कहा गया है। दर्शन में जाने वाले व्यक्ति को मास्क पहनना अनिवार्य है और ऐसा नहीं हुआ तो मूर्ति स्थापना करने वाले व्यक्ति या समिति पर कार्रवाई की जाएगी। सेनेटाइजर, आक्सीमीटर, थर्मल स्केनिंग, हैण्डवाश एवं क्यू मैनेजमेंट सिस्टम की व्यवस्था मण्डप स्थल पर होनी चाहिए।
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— Khabar Bastar (@khabarbastar) September 25, 2020
थर्मल स्क्रिनिंग में बुखार, कोरोना के सामान्य या विशेष लक्षण होने पर किसी भी व्यक्ति को प्रवेश की अनुमति नहीं देनी होगी। सोशल डिस्टेंसिंग के लिए बांस की बेरिकेटिंग लगाकर आगमन एवं प्रस्थान की व्यवस्था आयोजन समिति करेगी।
कंटेनमेंट जोन में मूर्ति स्थापना की अनुमति नही होगी। मूर्ति स्थापना, विसर्जन एवं विसर्जन के बाद किसी भी भोज-भण्डारे या सांस्कृतिक कार्यक्रम की अनुमति नहीं होगी। वाद्य यंत्र, ध्वनि विस्तारक यंत्र एवं डीजे पर पाबंदी रहेगी। इसके अलावा किसी भी खाद्य या पेय वितरण की अनुमति भी नहीं होगी।
मूर्ति विसर्जन के समय एक से अधिक वाहन की अनुमति नहीं होगी। मूर्ति विसर्जन के लिए पिक अप या छोटा हाथी से बड़ी वाहनों की अनुमति नहीं होगी। विसर्जन के समय किसी भी साज सज्जा या झांकी पर भी पाबंदी रहेगी। मूर्ति विसर्जन के लिए चार से अधिक व्यक्ति नहीं जा सकेंगे। वाहन को पण्डाल से विसर्जन स्थल के बीच रोकने की अनुमति नहीं होगी।
ये होगा पण्डाल का आकार
कलेक्टर रितेश अग्रवाल ने गाइडलाइन में कहा है कि मूर्ति की ऊंचाई एवं चौड़ाई 6 गुना 5 फीट से अधिक नहीं होगी। पण्डाल का आकार 15 गुणा 15 फीट से अधिक नहीं होगा। पण्डाल के सामने कम से कम 3 हजार वर्ग फीट की खुली जगह होनी चाहिए। एक पण्डाल से दूसरे पण्डाल की दूरी ढाई सौ मीटर से कम नहीं होनी चाहिए। इसी तरह श्रद्धालुओं के बैठने के लिए कुर्सी नहीं होगी।
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