रायपुर @ खबर बस्तर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में उनके निवास कार्यालय से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 के तहत गठित राज्य स्तरीय सतर्कता एवं मॉनीटरिंग समिति की बैठक आयोजित की गई।
बैठक में सदस्यों ने बैठक में सुझाव दिया कि जाति प्रमाण-पत्रों की शिकायतों पर त्वरित कार्रवाई की जाए। मुख्यमंत्री ने सदस्यों के सुझावों पर जाति प्रमाण-पत्रों के निरस्त करने की प्रक्रिया को सरल बनाने के भी निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि जाति प्रमाण-पत्र बनाने की प्रक्रिया आसान है, लेकिन उसके निरस्त करने की प्रक्रिया कठिन है। निरस्तीकरण की प्रक्रिया सरल होने से प्रमाण पत्र धारकों के विरूद्ध प्राप्त शिकायतों के निराकरण में तेजी आएगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अत्याचार निवारण के संबंध में अनुभाग स्तर पर सर्तकता समिति की बैठक अनिवार्य रूप से आयोजित की जाए। किसी व्यक्ति का फर्जी प्रमाण-पत्र भी न बन पाए इसके लिए निचले स्तर पर प्रक्रिया सुदृढ़ करने का सुझाव भी सदस्यों द्वारा दिया गया।
बैठक में सदस्यों ने सुझाव दिया कि जाति प्रमाण-पत्र शिकायत के मामले में हाईकोर्ट से स्टे लिया गया है। ऐसे प्रकरणों के स्टे वेकेंट करवाने की कार्रवाई की जाए। संचालक लोक अभियोजन ने बताया अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) के प्रकरणों के निराकरण में तेजी लाने के लिए नियमित लोक अभियोजक की नियुक्ति के लिए विधि एवं विधायी विभाग को प्रस्ताव भेजा गया है।
मानव तस्करी के मामले में प्रभावी कार्रवाई हेतु पर्याप्त संसाधन उपलब्ध कराने के लिए 75 लाख रूपए की राशि उपलब्ध कराई गई है। मुख्यमंत्री ने इस संबंध में गृह विभाग (पुलिस) से प्रतिवेदन प्राप्त करने के निर्देश दिए। बैठक में यह भी सुझाव दिया गया कि अनुसूचित जाति एवं जनजाति कल्याण थाना प्रभारी उन्हीं वर्ग के लोगों को बनाया जाए।
बैठक में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के अत्याचार निवारण के अंतर्गत वर्ष 2017, 2018 और 2019 में पुलिस और विशेष न्यायालय द्वारा दर्ज प्रकरणों की स्थिति की समीक्षा की गई। अंतर्जातीय विवाह प्रोत्साहन योजना के तहत राज्य शासन द्वारा वर्तमान में प्रति दंपत्ति प्रोत्साहन राशि 2 लाख 50 हजार रूपए दी जा रही है।
वर्ष 2019-20 में 747 दंपत्ति इस योजना से लाभान्वित हुए। उन्हें 1652 लाख 75 हजार रूपए की प्रोत्साहन राशि प्रदान की गई। अधिनियम के तहत पीड़ित व्यक्तियों को वर्ष 2019 में 4 लाख 40 हजार 605 रूपए, वर्ष 2018 में 3 लाख 66 हजार 324 रूपए और वर्ष 2017 में 2 लाख 44 हजार 290 रूपए यात्रा भत्ता, मजदूरी की क्षतिपूर्ति और आहार राशि पर व्यय किए गए।
अधिनियम के अंतर्गत वर्ष 2019-20 में 940 व्यक्तियों को 1487 लाख 75 हजार रूपए, वर्ष 2018-19 में 773 व्यक्तियों को 1015 लाख 64 हजार रूपए और वर्ष 2017-18 में 883 व्यक्तियों को 998 लाख 85 हजार रूपए की राहत राशि प्रदाय की गई।
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