बीजापुर @ खबर बस्तर। स्कूलों और आश्रमों में रोजाना छह घंटे काम करने वाले रसोईयों ने कहा है कि उन्हें माह में केवल 1200 रूपए पगार दी जाती है और ये नाकाफी है। जबकि कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के दौरान रसोइयों को कलेक्टोरेट रेट पर भुगतान की बात कही थी।छग महिला पुरूष मध्याह्न भोजन रसोईया संघ की जिलाध्यक्ष रंभा झा ने बताया कि इस आशय का एक ज्ञापन संगठन के प्रांतीय संरक्षक जयदेव साहा एवं संभागीय अध्यक्ष सुरेष साहू ने आदिम जाति कल्याण मंत्री प्रेमसाय सिंह टेकाम को भेजा है।रंभा झा का कहना है कि अब रसोइयों के वेतन में सिर्फ तीन सौ रूपए की ही वृद्धि की गई है। इसे लेकर रसोइयों में अंसतोष है। रसोइयों का कहना है कि उन्हें इसकी बजाए अंशकालीन कर्मचारी का भुगतान किया जाना चाहिए।दस से बीस दर्ज संख्या वाले आंगनबाड़ियों में काम करने वाली सहायिकाओं को 3250 रूपए मानदेय दिया जाता है जबकि रसोइयों को सिर्फ 1200। ये रसोइयों के साथ अन्याय है क्योंकि रसोईए पांच से छह घंटे सेवा देते हैं।पद से निकाले गए रसोइयों को पुनः काम पर रखने का आष्वासन दिया गया था लेकिन ऐसा नहीं हुआ। संगठन ने निकाले गए रसोइयों को फिर से काम पर लेने की मांग की है। नियमित नहीं होने से वैसे भी रसोइयों का भविष्य अंधकारमय है।
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