गणपति के सरेंडर को नक्सलियों ने बताया सरकार की मनगढंत कहानी… कोविड-19 को लेकर लगाया आरोप, प्रेस नोट में लिखा- WHO की चेतावनी को अनदेखी कर ट्रम्प के स्वागत में डूबी रही मोदी सरकार
के. शंकर @ सुकमा। नक्सली लीडर गणपति के सरेंडर मामले में माओवादियों का बयान सामने आया है। नक्सलियों ने इसे सरकार की एक मनगढंत कहानी करार देते हुए पूरे मामले को सिरे से खारिज किया है।
नक्सलियों का कहना है कि यह एक षड़यंत्रकारी दुष्प्रचार अभियान है। केन्द्र की मोदी सरकार, तेलंगाना सरकार, केन्द्रीय खुफिया एजेंसी, छत्तीसगढ़ खुफिया एजेंसी और तेलंगाना की खुफिया एजेंसी ने मिलकर यह षड़यंत्र रचा है। माओवादियों ने इसकी निंदा की है।
माओवादियों की दक्षिण सब जोनल ब्यूरो द्वारा जारी प्रेस नोट में कहा गया है कि जनवरी 2020 में ही विश्व स्वास्थ संगठन (WHO) ने कोविड-19 के बारे में मोदी सरकार को चेतावनी दी थी। इसके बावजूद सरकार ने इसे गंभीरता से नहीं लिया और डोनाल्ड ट्रम्प की सेवा में डूबी रही।
लॉकडाउन से अर्थव्यवस्था चौपट
नक्सलियों का आरोप है कि मोदी सरकार द्वारा मार्च में बिना किसी तैयारी के लॉकडाउन लागू कर दिया गया। इससे देश की अर्थव्यवस्था चौपट हो गई। वहीं दूसरी ओर देश की सम्पति को देश विदेशी कारपोरेट कंपनियों को सौंपा जा रहा है।
नक्सलियों ने प्रेस नोट में लोन वर्राटु अभियान को लेकर भी तल्ख टिप्पणी की है। माओवादियों का आरोप है कि इस अभियान के तहत पुलिस द्वारा ग्रामीण जनता को पकड़कर सरेंडर का नाटक किया जा रहा है। नक्सली आत्मसमर्पण के नाम पर पुलिस अधिकारी अपनी जेबें भर रहे हैं।
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