एक तकनीशियन पर 18 गांवों और 442 नलकूपों का बोझ
पंकज दाऊद @ बीजापुर। जिले में एक हैण्डपंप तकनीशियन ऐेसे भी हैं, जिन पर 18 गांवों के 442 नलकूपों की मरम्मत का जिम्मा है। समूचे जिले में ही स्थिति है क्योंकि तकनीशियन रिटायर ज्यादा हो रहे हैं और भर्ती बंद है।
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी खण्ड के कुटरू मुख्यालय में पदस्थ विमल सिंह सिरदार पहली नंवबर को रिटायर हो जाएंगे। ये वहीं हैं जिन पर 9 पंचायतों के 18 गांवों के 442 नलकूपों की मरम्मत का भार है। उन्हें नलकूप बनाने के लिए 35 किमी का फेरा लगाना पड़ता है।
इसी साल दिसंबर में रिटायर हो रहे बीजापुर मुख्यालय के तकनीषियन बीएस मिंज अभी संगठन के अध्यक्ष हैं। अभी वे 142 नलकूपों का संधारण कर रहे हैं पालिका बनने से उनके अधिकार क्षेत्र के करीब 200 नलकूप कम हो गए।
अब इनकी देखरेख पालिका की ओर से हो रही है। वे बताते हैं कि जिले में करीब चालीस मुख्यालय हैं और इतने ही तकनीषियन होने चाहिएं लेकिन अभी पचास फीसदी से भी कम पद भरे हुए हैं। ऐसी स्थिति में एक ही तकनीषियन को अतिरिक्त प्रभार दिया जा रहा है।
वे बताते हैं कि 1983 में संभाग में विभाग में भर्ती हुई थी। इसके बाद दो साल पहले जिले में चार पदों पर भर्ती हुई। इनमे से दो भोपालपटनम, एक उसूर एवं एक की पोस्टिंग भैरमगढ़ ब्लॉक में की गई। इसके बावजूद पहले से ही पद खाली होने से तकनीषियनों पर अतिरिक्त भार है।
बताया गया है कि इस साल अब तक तीन तकनीषियन रिटायर हो गए हैं। अभी वर्षांत तक तीन और रिटायर हो जाएंगे। 2011-12 में कुछ दैनिक वेतन भोगी कमि्र्ार्यों को तकनीषियन के पद पर नियमित किया गया।
साढ़े सात हजार नलकूप
जिले में पीएचई के पास करीब साढ़े सात हजार नलकूप हैं। इनकी देखरेख बीस तकनीषियनों को करना पड़ता है। बीजापुर अनुभाग के एई रूद्रप्रताप सिंह के मुताबिक जब भी षिकायत आती है, तुरंत सामान भेज दिया जाता है। नलकूपों की जल्द मरम्मत के लिए हेल्पर एवं दैनिक वेतन भोगियों की मदद ली जाती है।
तकनीषियन बीएस मिंज की मानें तो तकनीषियनों को दुर्गम इलाके में जाकर काम करना पड़ता है। ऐसे भी इलाके हैं जहां तक सामान ले जाने में काफी कठिनाई होती है। उन्हें एक नलकूप को ठीक करने के लिए गांव में तीन से चार दिनों तक रूकना भी पड़ जाता है।
नो प्रमोशन
तकनीषियन की योग्यता आईटीआई पास की होती है। 1983 में भर्ती तकनीषियन आज उसी पद से सेवानिवृत हो रहे हैं। पीएचई की सिविल ष्षाखा में इनके लिए प्रमोषन का कोई प्रावधान है ही नहीं। विमल सिंह सिरदार बताते हैं कि पीएचई की मैकेनिकल ष्षाखा में तकनीषियनों को प्रमोषन सुपरवाईजर के तौर पर किया जाता है जबकि सिविल ष्षाखा में इन्हें केवल बढ़ा वेतनमान मिलता है।
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